मेरठ में थम नहीं रहा वंदे मातरम् गायन को लेकर उपजा विवाद

मुस्लिम पार्षदों का कहना है कि बैठक की मिनट्स में यदि इसे शामिल किया जाता है तो अवमानना याचिका दाखिल की जाएगी।

By amal chowdhuryEdited By: Publish:Thu, 30 Mar 2017 10:52 AM (IST) Updated:Thu, 30 Mar 2017 11:52 AM (IST)
मेरठ में थम नहीं रहा वंदे मातरम् गायन को लेकर उपजा विवाद
मेरठ में थम नहीं रहा वंदे मातरम् गायन को लेकर उपजा विवाद

मेरठ (जागरण संवाददाता)। नगर निगम की बोर्ड बैठक में वंदेमातरम् गायन के दौरान मुस्लिम पार्षदों के बैठक से बाहर चले जाने पर हुआ हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां भाजपा दल ने इसे देश के अमर शहीदों का अपमान बताते हुए सहन न करने की घोषणा की है वहीं मुस्लिम पार्षदों ने इसे तुगलकी फरमान बताया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यह अवमानना है। बैठक की मिनट्स में यदि इसे शामिल किया जाता है तो अवमानना याचिका दाखिल की जाएगी।

स्मार्ट सिटी के प्रपोजल को अनुमति प्रदान करने के लिए मंगलवार को आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक में वंदे मातरम् को लेकर खासा विवाद हुआ था। वंदे मातरम् के दौरान मुस्लिम पार्षदों द्वारा बोर्ड बैठक छोड़कर बाहर चले जाने का अन्य पार्षदों ने जमकर विरोध किया। इस दौरान बोर्ड ने वंदे मातरम् का विरोध करने वाले पार्षदों को सदन में न घुसने देने का निर्णय लिया था तथा वंदे मातरम् का अपमान सहन न करने की घोषणा भी की थी। यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

भाजपा खेमे का कहना है कि वंदे मातरम् का अपमान सदन, देश और शहीदों का अपमान है। वर्तमान बोर्ड के साढ़े चार साल के कार्यकाल से यह सिलसिला चल रहा है। पार्षदों के साथ-साथ महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने भी बुधवार को स्पष्ट कहा कि देश के अमर शहीद इसको गाते गाते शहीद हो गए। बोर्ड ने फैसला किया है कि अब इसका अपमान सहन नहीं किया जाएगा। भाजपा पार्षदों ने भी बोर्ड के फैसले का समर्थन किया है।
वहीं मुस्लिम पार्षदों ने इस निर्णय को तुगलकी फरमान बताया है।

सपा पार्षद दल नेता शाहिद अब्बासी ने कहा कि वंदे मातरम् में शामिल न होने पर सदस्यता समाप्त करने तथा सदन में न घुसने देने की घोषणा अनुचित है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी 2017 को अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 (ए) में केवल राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का जिक्र किया गया है। राष्ट्रगीत व्यक्ति की स्वेच्छा पर निर्भर है। इसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता। उपाध्याय ने राष्ट्रगीत को सभी सदनों में अनिवार्य करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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शाहिद ने कहा कि निगम बोर्ड का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। यदि बैठक की मिनट्स में इसे शामिल किया गया तो इसके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् का हम विरोध नहीं करते, बल्कि दूसरों की भावना का सम्मान करते हुए उस समय वहां से हट जाते हैं। दूसरे पार्षदों को भी मुस्लिम पार्षदों की भावना का सम्मान करना चाहिए। इस्लाम देशभक्ति सिखाता है।

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