यह शुभ संयोग है, लोकतंत्र के पर्व बीच में गणतंत्र दिवस, जानिए इसकी महत्‍ता

Republic Day Special लोकतंत्र का पर्व यानी जनता के लिए जनता द्वारा चुने जाने का समय। मेरठ में जहां चुनावी गीत संगीत धूम मचाए हुए है तो वहीं राष्ट्रीय प्रतीक रोशन किए गए। सोच समझकर ही अपने जनप्रतिनिधि को चुनिए। वोट अवश्‍य ही करिए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Wed, 26 Jan 2022 09:26 AM (IST) Updated:Wed, 26 Jan 2022 09:26 AM (IST)
यह शुभ संयोग है, लोकतंत्र के पर्व बीच में गणतंत्र दिवस, जानिए इसकी महत्‍ता
Republic Day Special लोकतंत्र के बीच गणतंत्र की महत्‍ता अपने आप की बढ़ जाती है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Republic Day Special आज कितना शुभ संयोग है। खासकर उस मेरठ के लिए जिसने गुलामी के विरोध में क्रांति का बिगुल बजाया था। आज देश गणतंत्र दिवस मनाएगा। यह गणतंत्र पर्व लोकतंत्र के उस पर्व के बीच में मनाया जा रहा है जिसके लिए ही गुलामी की जंजीर तोड़ी गई। अपना स्वयं का संविधान लागू किया गया। इस खास समय को उत्सव के रूप में मनाने के लिए मेरठ सज-संवर गया है। राष्ट्रीय प्रतीक सजा दिए गए हैं। देश भक्ति के तराने गूंज रहे हैं। तिरंगा लहराते हुए हर तरफ दिखाई दे रहा है। इसी बीच चुनावी रंग के गीत भी बज रहे हैं। भारत माता की जय, वंदेमातरम, सारे जहां से अच्छा, ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीत आसमान तक पहुंच रहे हैं।

लोकतांत्रिक देश को मजबूती

लोकतंत्र का पर्व यानी जनता के लिए जनता द्वारा जनप्रतिनिधि चुनने का समय। ऐसा समय जब हर किसी को यह अधिकार होता है कि वह अपनी पसंद का ऐसा व्यक्ति चुने जो जनता की आवाज विधानसभा या लोकसभा में उठा सके। लोकतांत्रिक देश को मजबूती दे और लोकतंत्र के मूल्यों को संरक्षित करते हुए जनता के उत्थान व कल्याण के लिए समर्पित रहे। यह गणतंत्र दिवस भी उसी उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला पर्व है। इसी दिन 1950 में भारत सरकार अधिनियम- 1935 को हटाकर देश का अपना संविधान लागू किया गया था।

यही चाहता है गणतंत्र

संविधान यानी लोकतंत्र में व्यवस्था को निर्धारित करने वाले नियमों का दस्तावेज। कभी राजशाही व्यवस्था हुआ करती थी लेकिन इसी लोकतंत्र ने यह व्यवस्था की कि भारत में अब जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन स्थापित होगा। इसीलिए जनता की ओर से ही जनप्रतिनिधि चुनकर विधानसभा व लोकसभा में भेजे जाते हैं। यही जनप्रतिनिधि व्यवस्था को संचालित करने वाले कानून व सुविधाएं देने वाली योजनाएं बनाते हैं। उप्र में कानून व योजनाओं के लिए फिर पांच साल के लिए जनप्रतिनिधि चुनने का समय आया है। सोच-समझकर बेहतर उम्मीदवार का चयन करें। यही गणतंत्र दिवस चाहता है।

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