एक करोड़ रुपये देते हैं विलंब शुल्क

परीक्षा फार्म भरने में छात्र अक्सर लेटलतीफी करते हैं। इससे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को हर साल 60 लाख से एक करोड़ रुपये तक विलंब शुल्क मिलता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Sep 2018 11:31 AM (IST) Updated:Tue, 04 Sep 2018 11:31 AM (IST)
एक करोड़ रुपये देते हैं विलंब शुल्क
एक करोड़ रुपये देते हैं विलंब शुल्क

मेरठ (विवेक राव)। छात्र-छात्राओं की लापरवाही चौधरी चरण सिंह विवि को मालामाल कर रही है। युवा परीक्षा फार्म भरने में लेट-लतीफी करते हैं और विवि इस पर विलंब शुल्क वसूलता है। विलंब शुल्क के मद में विवि को हर साल साठ लाख से एक करोड़ तक की रकम मिलती है।

विवि हर साल प्रवेश से लेकर परीक्षा फार्म भरने की तिथि निर्धारित करता है। नियत तिथि पर बहुत से छात्र-छात्राएं फार्म नहीं भर पाते हैं। इसके अलावा काफी छात्र विवि की निर्धारित परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते। विवि प्रशासन एक से डेढ़ हजार रुपये विलंब शुल्क वसूलकर छात्र-छात्राओं को परीक्षा फार्म भरने की अनुमति देता है। इसके अलावा दोबारा परीक्षा कराने पर भी कुछ पेनाल्टी लगाई जाती है। छात्रों को तो विलंब शुल्क देकर अपने तरीके से फार्म भरने की आजादी मिल जाती है, लेकिन छात्रों को मिलने वाली सहूलियत एक तरह से विवि का खजाना भी भर रही है। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) के तहत विवि से मिली जानकारी के अनुसार विवि ने केवल विलंब शुल्क मद से वर्ष 2015-2016 में 66 लाख रुपये प्राप्त किए। अगले साल यानी 2016-17 में बढ़कर यह रकम एक करोड़ 10 लाख हो गई। वर्ष 2017-18 में 17 लाख रुपये विलंब शुल्क प्राप्त हुआ है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2018-19 में विश्वविद्यालय ने 60 लाख रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है।

कई मद में रखा लक्ष्य

विवि में कई मदों में शुल्क से अधिक विलंब शुल्क से राजस्व जुटाया जा रहा है। आरटीआइ के तहत मिले आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2018-19 में विवि ने माइग्रेशन प्रमाणपत्र के लिए 40 लाख का अनुमानित लक्ष्य रखा है। शोध शुल्क से एक लाख रुपये, स्क्रीनिंग और जांच शुल्क से पांच लाख रुपये का अनुमानित लक्ष्य निर्धारित किया है।

chat bot
आपका साथी