Shardiya Navratri 2022: मेरठ के मंशा देवी मंदिर में पूरी होती है हर मुराद, यहां पर दूर-दूर से आते हैं भक्‍त

Shardiya Navratri 2022 सोमवार से शारदीय नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं। ऐसे माता के मंदिर में भक्‍तों का रैला उमड़ता है। मेरठ के मंशा देवी मंदिर में दूर-दूर भक्‍त पहुंचते हैं। मेरठ के गढ़ रोड पर स्‍थित यह मंदिर काफी प्रचीन हैं। यहां भी मान्‍यता भी है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Fri, 23 Sep 2022 08:00 AM (IST) Updated:Fri, 23 Sep 2022 08:00 AM (IST)
Shardiya Navratri 2022: मेरठ के मंशा देवी मंदिर में पूरी होती है हर मुराद, यहां पर दूर-दूर से आते हैं भक्‍त
Mansha Devi Temple मेरठ के मंशा देवी मंदिर की भी काफी मान्‍यता है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Mansha Devi Temple सोमवार, 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। यह काफी शुभ माना जाता है। नवरात्र में माता के मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ बढ़ जाती है। मेरठ के जागृति विहार में मंशा देवी मंदिर शहर के प्रचीन मंदिरों में से एक है।

भक्‍त मांगते हैं मन्नत

मंशा देवी मंदिर में देवी की प्राचीन मूर्ति के प्रति भक्तों में अगाध श्रद्धा है। अपनी संतानों के स्वास्थ्य और लंबी आयु को लेकर माता पिता यहां मन्नत मांगते हैं। पूरी होने पर भंडारा करते हैं। कई गांवों के लोग देवी को कुल देवी के रूप में पूजते हैं। सरकार के सहयोग से भक्तों की सुविधा के लिए एक हाल का निर्माण हुआ है।यहां पर ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु भारी संख्या में आते हैं। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती है।

यह पर है स्‍थित

यह मंदिर गढ़ रोड आनंद अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। मंशा देवी मंदिर की स्थापना के बारे में कोई निश्चित तिथि नहीं है। मंदिर के पूर्व पुजारी बाबा रामगिरी की समाधि पर 1953 की तिथि अंकित है। राम गिरि के पिता बेला राम के समय भी मंदिर था। इसलिहाज से देखा जाए तो यह मंदिर कम से कम डेढ़ सौ वर्ष पुराना है।

नौ दिन की उपासना का है विशेष महत्‍व

शारदीय नवरात्र की शुरुआत इस बार 26 सितंबर से हो रही हैं। जिसका समापन 5 अक्टूबर को दशमी तिथि और दशहरे पर्व के साथ होगा। नवरात्रि में देवी के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। प्रथम दिन घटस्थापना होती है और देवी के भक्त देवी के शैलपुत्री रूप की उपासना करते हैं। शास्त्रों में नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व, व्रत और पूजा का विशेष महत्व है। 

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