छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित ने दस साल पहले बेच दी थी पैतृक संपत्ति, यह है मामला

छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे देहरादून इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी सेलाकुई के चेयरमैन मवाना क्षेत्र के कौल गांव में अपनी पैतृक संपत्ति को 10 साल पूर्व बेचकर परिवार सहित दिल्ली चले गए थे। आरोपित को उत्तराखंड पुलिस ने मेरठ से किया था गिरफ्तार।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 10:18 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 10:18 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित ने दस साल पहले बेच दी थी पैतृक संपत्ति, यह है मामला
मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप‍ित ग‍िरफ्तार।

मेरठ, जेएनएन। छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे देहरादून इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलाजी सेलाकुई के चेयरमैन मवाना क्षेत्र के कौल गांव में अपनी पैतृक संपत्ति को 10 साल पूर्व बेचकर परिवार सहित दिल्ली चले गए थे। वह सरकारी अस्पताल में चिकित्सक भी है।

मवाना क्षेत्र के गांव कौल निवासी डा. मनोज कुमार पुत्र ज्ञानेंद्र उर्फ ज्ञानी चौधरी एनेसथेसिस्ट हैं। पिता ज्ञानेंद्र प्रधान रहे थे और मां उॢमला भी प्रधान रहीं। सड़क दुर्घटना में पिता की मौत होने के बाद मां ने ही मनोज व दो बेटियों को पढ़ाया लिखाया। मनोज ने एमबीबीएस के बाद दिल्ली एम्स में कई साल नौकरी की। इसके बाद नरेला स्थित सरकारी हॉस्पिटल में ट्रांसफर हो गया। वहीं, पत्नी मां बेटी के साथ रह रहे हैं। करीब 10 वर्ष पूर्व खेती की जमीन मकान समेत अन्य प्रापर्टी उन्होंने बेच दी थी। ग्रामीणों ने बताया कि यहां आए हुए भी बरसों बीत गया। कोई संपर्क भी नहीं है। डाक्टर की दोनों बहने शादीशुदा है। एक बहन बिजनौर में चिकित्सक हैं।

यह है मामला

संस्थान ने जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून से वर्ष 2011-12 से 2016-17 तक छात्रवृत्ति के कुल तीन करोड़ 19 लाख 25 हजार आठ सौ नव्वे रुपये प्राप्त किए थे। आरोपितों ने एक करोड़ 34 लाख 10 हजार रुपये की छात्रवृत्ति अपने बैंक में प्राप्त की। जांच के बाद पुलिस टीम ने रविवार को आरोपित संस्थान के चेयरमैन डॉ. मनोज कुमार निवासी ग्राम कौल, मवाना व कोषाध्यक्ष दीपक कुमार निवासी असौड़ा हाउस लालकुर्ती क्षेत्र को मेरठ से गिरफ्तार कर लिया था।

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