Om Prakash Sharma Dies: बागपत अपनी जन्मभूमि को प्रकाशमान करते रहे ओमप्रकाश शर्मा

दिग्‍गज शिक्षक नेता ओमप्रकाश शर्मा अब हमारे बीच में नहीं रहे। माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष स्व. ओमप्रकाश शर्मा की बागपत जन्म स्थली और कर्मस्थली रहा। वहीं दूसरी ओर राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भराला ने ओमप्रकाश शर्मा के निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:30 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 09:30 AM (IST)
Om Prakash Sharma Dies: बागपत अपनी जन्मभूमि को प्रकाशमान करते रहे ओमप्रकाश शर्मा
बागपत शिक्षक नेता ओमप्रकाश शर्मा की जन्‍मभूमि रहा है। यहां भी उनके काम याद किए जाते हैं।

जहीर हसन, बागपत। शिक्षक नेता ओमप्रकाश शर्मा के निधन से बागपत को गहरा सदमा लगा। पांच दशक से ज्यादा के सियासी सफर में ओम प्रकाश शर्मा बागपत के लिए और बागपत उनके लिए मजबूती से डटे रहे। बागपत से उनका इतना लगाव था कि यहां उन्होंने शिक्षा का उजियारा उन अंधेरी सुरंगों तक पहुंचाया जहां निजाम पहुंचने में नाकाम रहा।

लोग करते थे काम की तारीफ

माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष स्व. ओमप्रकाश शर्मा की बागपत जन्म स्थली और कर्मस्थली रहा। हिम्मतपुर सूजती गांव में जन्मे ओमप्रकाश शर्मा के बारे में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य जयपला शर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय बागपत नगर स्थित श्री यमुना इंटर कालेज की तो उन्होंने ऐसा कायाकल्प कराया कि लोग शानदार भवन को देख उनके काम की तारीफ किए बिना नहीं रहते। माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि साल 1997 में जिला बनने के बाद शर्मा जी ने उन्हें मंत्री और बल्लम सिंह शर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया और आज तक इन पदों पर हैं। बोले कि शर्मा जी ने अपनी विधायक निधि से छोटे बड़े 150 स्कूलों में विकास कराया। उनका जाना शिक्षक जगत को गहरी चोट है। वहीं शिक्षकों को अफसोस है कि शर्मा जी जिंदगी की सांझ में विधान परिषद का चुनाव हार गए।

शिक्षा जगत में शोक की लहर

राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भराला ने ओमप्रकाश शर्मा के निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया। मूटा के पूर्व अध्यक्ष विकास शर्मा ने कहा, 1973 के बाद शिक्षकों को जो सम्मान, सुरक्षा व भविष्य मिला, उसमें शर्माजी का योगदान अविस्मरणीय है। शिक्षक नेता नित्यानंद शर्मा बाले, उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय अध्यक्ष विपिन भारद्वाज ने कहा कि वह शिक्षकों के गांधी थे। कहा करते थे कि एकत्र नहीं रहोगे तो मिट जाओगे।

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