तीन दिवसीय प्रशिक्षण : बदलाव से होगी खुले में शौच से मुक्ति Meerut News

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की कामयाबी के लिए मेरठ में मेरठ सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल समेत कुल 15 जनपदों के अधिकारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार से शुरू हुआ।

By Prem BhattEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 09:53 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 09:53 AM (IST)
तीन दिवसीय प्रशिक्षण : बदलाव से होगी खुले में शौच से मुक्ति Meerut News
तीन दिवसीय प्रशिक्षण : बदलाव से होगी खुले में शौच से मुक्ति Meerut News

मेरठ, जेएनएन। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत दावा किया जा रहा है कि पूरे प्रदेश का ग्रामीण क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो गया है। इसके बाद अब ओडीएफ को स्थायी रखने की चुनौती है। जिसके लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद के अफसरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मेरठ में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल समेत कुल 15 जनपदों के अधिकारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार से शुरू हुआ। इस दौरान सामने आया कि खुले में शौचमुक्ति को स्थायी करने के लिए जनता को व्यवहार बदलना होगा।

15 जनपदों ने अफसर हुए शामिल

कृषि विवि मोदीपुरम के प्रसार निदेशालय के सभागार में इस कार्यशाला का उद्घाटन कमिश्नर के प्रतिनिधि के रूप में जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने किया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित तीनों मंडलों के 15 जनपदों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि ओडीएफ के बाद अब हम ओडीएफ प्लस श्रेणी प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं। ग्रामीण शौचालयों का शत प्रतिशत उपयोग करें। गांव में कूड़ा उठाने की व्यवस्था की जाये। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एक सामुदायिक शौचालय बनाया जाये। गांवों में भी सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट पर काम किया जाये। 2011 की जनगणना में छूटे ऐसा परिवार जिनके घर में शौचालय निर्माण नहीं किया जा सका है, उनकी खोज करके उनके लिए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जाये। यह कार्य दिसंबर तक पूरा कर लिया जाये।

प्रदेश को पांच हिस्‍सों में बांटा

मुख्य विकास अधिकारी ईशा दुहन ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन केवल शौचालय निर्माण का नहीं बल्कि गांवों में सामूहिक व्यवहार परिवर्तन का मिशन है। इसी के अभाव में अभी तक समस्या थी। उन्होंने बताया कि खुले में शौच मुक्ति को स्थायी रखने के लिए प्रदेश भर में प्रशिक्षण कार्यक्रम कराये जा रहे हैं। जिसके लिए प्रदेश को पांच हिस्सों में बांटा गया है। मेरठ में 15 जनपदों का केंद्र बनाया गया है। कार्यशाला में यूनिसेफ की अधिकारी अनन्या घोषाल ने प्रशिक्षण दिया।

खुद से ही करनी होगी पहल

उन्होंने बताया कि ओडीएफ प्लस तथा स्थायित्व का मतलब ठोस और तरल अपशिष्ट का निस्तारण, बायो मेडिकल वेस्ट, इलेक्ट्रानिक वेस्ट व अन्य कूड़े का सुरक्षित निस्तारण किया जाना है। गांव में घर, आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक स्थल साफ हों। ग्रामीण स्वच्छता को अपने जीवन का अंग मानते हुए व्यवहार और कार्य में उतारें। बताया कि घर और रसोई से निकलने वाला पानी ग्रे वाटर कहलाता है। जबकि मल के कणों वाला पानी ब्लैक वाटर कहा जाता है। हमे इन दोनों पानी के निस्तारण की सुमचित व्यवस्था करनी होगी। पहले दिन सभी 15 जनपदों के सीडीओ, जिला पंचायत रात अधिकारी, जिला सलाहकार तथा यूनिसेफ के अधिकारी मौजूद रहे। 

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