बच्चों पर कहर ढा सकती है कोरोना की नई लहर
कोरोना की पहली लहर में बच्चे काफी हद तक सुरक्षित थे लेकिन नई लहर ने उन्हें भी चपेट में लेलिया है।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना की पहली लहर में बच्चे काफी हद तक सुरक्षित थे, लेकिन नई लहर ने उन्हें भी चपेट में ले लिया है। 10-19 साल के बच्चों में वायरस तेजी से फैल रहा है, जबकि दस साल से कम उम्र के बच्चों और नवजातों में भी नए लक्षण उभर रहे हैं। बच्चे न सिर्फ सुपरस्प्रेडर की भूमिका में आ गए हैं, बल्कि वायरस उनके हार्ट को भी कमजोर बना सकता है। यह किडनी, ब्रेन, लिवर व लंग्स समेत किसी अंग पर गंभीर असर डाल सकता है। डाक्टरों ने माना है कि गत दिनों स्कूल खुलने एवं स्टेडियम में खेलकूद से बच्चों में महामारी का वायरस पहुंच गया। डबल म्यूटेंट वायरस को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है।
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लंबा रुक रहा बुखार
कोरोना के वायरस में बदलाव हुआ है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं। इसी वजह से वैक्सीन लगवा चुके लोगों को दोबारा संक्रमण हो रहा है। पिछली लहर में बच्चों पर वायरस तकरीबन बेअसर रहा, लेकिन इस बार मुंबई, नई दिल्ली और लखनऊ समेत कई अन्य शहरों में 10-19 साल के दर्जनों को आइसीयू में भर्ती कराना पड़ रहा है। बेंगलुरु के एक स्कूल में 400 से ज्यादा बच्चे बीमार पाए गए। सरधना में दर्जनों स्कूली बच्चों में वायरस की पुष्टि की गई। बच्चों का जहा ब्लडप्रेशर बढ़ा मिल रहा, वहीं उनमें वयस्कों की तुलना में ज्यादा दिनों तक बुखार रुक रहा है।
इन लक्षणों पर रखें नजर
पाच दिन तक बुखार, गंभीर डायरिया, पेट में मरोड़, आखों में लालिमा, स्किन पर चकत्ते, धड़कन का बढ़ना, जोड़ों में दर्द और होठों पर नीलापन।
इन वजहों से बच्चों पर खतरा ज्यादा
-बच्चे मास्क कम पहनते हैं या ठीक से नहीं पहनते।
-बच्चे संक्रमित मरीजों से दूरी नहीं बनाते। वो परिवार के बीच रहना पसंद करते हैं।
-स्कूलों में पढ़ाई एवं खेलकूद में शारीरिक दूरी का पालन नहीं करते।
-पहली लहर में उन्हें घरों में रहना पड़ा, किंतु इस बाहर आउटडोर गतिविधिया ज्यादा हो गईं। इनका कहना है..
बुखार होने पर बच्चों का कोरोना टेस्ट जरूर कराएं। प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से नया स्ट्रेन खतरनाक साबित हो सकता है। कई बच्चे ऐसे भर्ती हुए, जिनमें मल्टीपल इंफ्लामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन उभर रहा है। इन बच्चों में कोरोना के सभी लक्षण उभरते हैं, लेकिन आरटीपीसीआर जाच निगेटिव मिल रही। जबकि डी-डाइमर व फेरटिन बढ़ा मिल रहा। इको जाच में हार्ट की क्षमता 25 से 70 फीसद कम मिली। बच्चों में कम से कम माहभर बाहर निकलने से रोकें।
डा. अमित उपाध्याय, बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों में बुखार उभरने पर लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। पहले 90 फीसद संक्रमित बच्चे एसिम्टोमेटिक होते थे, लेकिन अब ज्यादातर में लक्षण मिलने लगा है। बच्चों में कोरोना वायरस पकड़ने वाले रिसेप्टर कम विकसित होते हैं, इसीलिए वायरल लोड कम होता है। लेकिन म्यूटेटेड वायरस को लेकर बेहद सावधानी बरतें। यह बच्चों के अंगों में अंदरुनी सूजन बढ़ा रहा, जो खतरनाक हैं।
डा. राजीव तेवतिया, बाल रोग विशेषज्ञ।