मेरठ से तय होगा भाजपा का चुनावी रोडमैप

मेरठ में 12 अगस्त को सभी 6

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Jul 2018 11:04 AM (IST) Updated:Sun, 22 Jul 2018 11:07 AM (IST)
मेरठ से तय होगा भाजपा का चुनावी रोडमैप
मेरठ से तय होगा भाजपा का चुनावी रोडमैप

मेरठ। उपचुनावों में लगातार हार के बाद भाजपा अब तक का सबसे बड़ा मंथन शिविर मेरठ में लगाएगी। प्रदेश कार्यसमिति बैठक के तत्काल बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 अगस्त को सूबे के सभी विधायकों व सांसदों की क्लास लगाएंगे। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह बेहद महत्वपूर्ण बैठक होगी। आगामी लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उप्र की बड़ी भूमिका की पटकथा तय होगी।

मिशन-2019 को लेकर भाजपा सितंबर से पूरी तरह चुनावी मोड में आ जाएगी। इससे पहले पार्टी तमाम मसलों पर होमवर्क कर रही है। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्य व डा. दिनेश शर्मा के साथ ही प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल बड़ी भूमिका में होंगे। इसे लोकसभा चुनावों से पहले हवा का रुख परखने की कवायद कहा जा रहा है। केंद्रीय टीम ने जहां सभी सांसदों की कापी जांच ली है, वहीं विधायकों के भी रिपोर्ट कार्ड पार्टी को रास नहीं आए हैं। पार्टी भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर सत्ता में आई, जबकि उसके तमाम विधायक इस दलदल में फंस गए हैं। उधर, सांसदों के पास सरकारी योजनाओं से अलग अपनी कोई उपलब्धि गिनाने के लिए नहीं है। रही सही कसर, सांसद आदर्श गांव ने पूरी कर दी। इसके लिए केंद्र सरकार ने कोई बजट नहीं दिया, जबकि जनता गांव के कायाकल्प की उम्मीद लगा बैठी थी। पार्टी के पास इस वक्त 311 विधायक एवं 68 सांसद हैं। उत्तर प्रदेश को संगठन के लिहाज से अवध, काशी, ब्रज एवं पश्चिम क्षेत्र में बांटा गया है। हर क्षेत्र में भाजपा में अंदरुनी घमासान का गुबार बढ़ता जा रहा है। चूंकि, मेरठ में संघ का मुख्यालय है, ऐसे में पार्टी के संदेशों पर तमाम दिग्गजों की भी नजर रहेगी। 2013 में पश्चिमी उत्तर से धु्रवीकरण की हवा उठी, जिसका असर 2017 विस चुनावों तक रहा। किंतु महागठबंधन के आगे भाजपा की रणनीति फेल होने लगी है। अब तक की सबसे बड़ी बैठक मेरठ में बुलाकर पार्टी हार्डकोर सियासत का बड़ा संदेश दे सकती है। साथ ही सियासत में पश्चिमी उप्र का रुतबा बढ़ाने के लिए भी पार्टी इसे बड़ी कसरत मानकर चल रही है। पार्टी के रणनीतिकारों की मानें तो पूर्वाचल के मुकाबले पश्चिमी उप्र में भाजपा ज्यादा दबाव में है। यहां पर राष्ट्रीय लोकदल किसानों के बीच बड़ी मेहनत पर जनाधार वापसी का प्रयास कर रहा है, वहीं सपा-बसपा के साथ आने से भाजपा के तमाम तीर भोथरे हो जाएंगे। पार्टी का एक खेमा पश्चिमी उप्र में जीत का फार्मूला खोजने के लिए माथापच्ची कर रहा है। क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी का कहना है कि पार्टी की कदाचित यह विरली बैठक होगी, जिसमें पूरे प्रदेश के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।

chat bot
आपका साथी