दर्द की दवा न बुखार की, जान हथेली पर बीमार की

प्रदेश में बना मेडिकल कारपोरेशन स्वास्थ्य विभाग को दवाएं आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। मेरठ के अस्‍पतालों में एंटीबॉयोटिक एवं एंटी रेबीज समेत तमाम वैक्सीन व इंजेक्शन खत्म हैं।

By Ashu SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 12:25 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 12:25 PM (IST)
दर्द की दवा न बुखार की, जान हथेली पर बीमार की
दर्द की दवा न बुखार की, जान हथेली पर बीमार की
मेरठ,जेएनएन। चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए उठाए गए कदम लड़खड़ा गए हैं। प्रदेश में हाल में बना मेडिकल कारपोरेशन स्वास्थ्य विभाग को दवाएं आपूर्ति नहीं कर पा रहा है, वहीं रेट कांट्रेक्ट वाली कंपनियों ने विभाग को दवा देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। बुखार, शुगर, दर्द, एंटीबॉयोटिक एवं एंटी रेबीज समेत तमाम वैक्सीन व इंजेक्शन खत्म हैं।
मांग करने पर भी नहीं मिली दवाई
जिले में पिछली परचेज कमेटी की बैठक 30 नवंबर 2018 को हुई थी। दवाओं की सूची बनाकर शासन के पास भेजी गई, किंतु दवा नहीं मिलीं। इससे पहले अक्टूबर माह में भी काफी दवाओं की मांग की गई थी। प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष मेडिकल बोर्ड बना दिया, जो सभी दवाएं एवं चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराएगा। जिले में 12 सीएचसी, 35 पीएचसी व 26 अर्बन चिकित्सा केंद्रों में दवाओं की भारी खपत है, जबकि मेडिकल बोर्ड दवाएं आपूर्ति नहीं कर पाया। उधर, प्रदेश सरकार के रेट कांट्रेक्ट में शामिल कंपनियां विभाग को सीधे दवा देने से बचने लगी हैं।
30 हजार रेबीज वैक्सीन मांगीं..तीन हजार भी नहीं मिलीं
जिले में कुत्ता, बंदर, नेवला एवं सियार जैसे जानवर बड़ी संख्या में लोगों को काट रहे हैं। एंटी-रेबीज वैक्सीन की दो साल से कमी बनी हुई है। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि सालभर में 30 हजार वायल की खपत है, जबकि आपूर्ति कम है। इधर, जिला अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन शहरी मरीजों के पहचान पत्र देखकर लगाए जा रहे हैं।
20 दवाओं की भारी कमी
सर्वाधिक खपत वाली 20 दवाओं की भारी कमी है। सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की डिमांड के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने शासन से लाखों टेबलेट की मांग की,किंतु एक भी नहीं मिली।
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