Election 2024: पश्चिम में कमल को सुरक्षा देगा रालोद का ‘अजगर’, चौधरी चरण सिंह की राह पर चल रहे जयन्त ने और बढ़ाया दायरा

भाजपा ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ उतरी है। पार्टी का फोकस जाट-गुर्जर समेत सभी जातियों को जोड़ने की रणनीति पर है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में अजित सिंह के कमजोर पड़ने पर जाट व गुर्जर बंटे जिसका लाभ भाजपा को मिला। 2022 में सपा संग चुनाव लड़ने उतरे जयन्त ने अपने बाबा के अजगर फार्मूले में ‘अ को अहीर अनुसूचित और अगड़ा’ तीनों अर्थों में आजमाया।

By Jagran NewsEdited By: Amit Singh Publish:Sun, 24 Mar 2024 04:00 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2024 04:00 AM (IST)
Election 2024: पश्चिम में कमल को सुरक्षा देगा रालोद का ‘अजगर’, चौधरी चरण सिंह की राह पर चल रहे जयन्त ने और बढ़ाया दायरा
पश्चिम उत्तर प्रदेश में कारगर है अहीर, जाट, गुर्जर व राजपूत समीकरण

HighLights

  • पश्चिम उत्तर प्रदेश में कारगर है अहीर, जाट, गुर्जर व राजपूत समीकरण
  • बाबा चरण सिंह की राह पर चल रहे जयन्त ने और बढ़ाया दायरा

प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। जयन्त चौधरी जब युवावस्था में राजनीति में आए तो लोगों ने उनमें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की झलक देखने की कोशिश की। अब इसका एक रंग जयन्त के रणनीतिक कौशल में भी दिख रहा है। पिता अजित सिंह के बाद रालोद की कमान संभाल रहे जयन्त ने अपने बाबा चौधरी चरण सिंह के आजमाए ‘अजगर’ फार्मूले को नए अर्थ-तेवर में पेश किया। आगे की राजनीतिक राह की ‘लाठी’ भी बनाई। इससे न सिर्फ रालोद को मजबूती की आस है, बल्कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को भी अतिरिक्त ऊर्जा मिल सकती है।

बाबा के फार्मूले पर जयन्त

चुनावी कुरुक्षेत्र में भाजपा ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ उतरी है। पार्टी का फोकस जाट-गुर्जर समेत सभी जातियों को जोड़ने की रणनीति पर है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में अजित सिंह के कमजोर पड़ने पर जाट व गुर्जर बंटे, जिसका लाभ भाजपा को मिला। 2022 में सपा संग चुनाव लड़ने उतरे जयन्त ने अपने बाबा के अजगर फार्मूले में ‘अ को अहीर, अनुसूचित और अगड़ा’ तीनों अर्थों में आजमाया।

यह भी पढ़ें: तृणमूल कांग्रेस में बगावत! क्या भारी पड़ेगी ममता को इन नेताओं की नाराजगी? यूसुफ पठान की भी बढ़ सकती है चिंता

उन्होंने न सिर्फ अहीर, जाट, गुर्जर व राजपूत के साथ मीटिंग की, बल्कि दलितों एवं अगड़ों को भी पार्टी में स्थान देने का प्रयास किया। उनका यह फार्मूला खतौली विधानसभा उपचुनाव में सफल भी रहा। इससे जयन्त ने भाजपा की किलेबंदी को ध्वस्त कर दिया था। जयन्त ने 2018 में भी कैराना लोस उपचुनाव में जातीय गठजोड़ से भाजपा को शिकस्त देकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था।

जातीय समीकरण के नए शिल्पकार बने रालोद मुखिया

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रशांत कहते हैं कि ‘दशकों पहले चौधरी चरण सिंह ने उप्र की राजनीति में अजगर गठजोड़ का पिरामिड खड़ाकर कांग्रेस के वर्चस्व को ध्वस्त कर दिया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10-12 ऐसे जिले हैं, जहां पर जाट-गुर्जर निर्णायक भूमिका में हैं। जयन्त वर्ष 2009 में मथुरा से सांसद रह चुके हैं। ब्रज क्षेत्र के कई जिलों हाथरस, अलीगढ़, आगरा, फतेहपुरी सीकरी समेत कई सीटों पर जाट वोट काफी हैं, जहां भाजपा अपने प्रचार में जयन्त को अवश्य ले जाना चाहेगी।

यह भी पढ़ें: बिहार में राजद को 'माय' से मिली निराशा, अब 'बाप' से उम्मीद; क्या नीतीश के काम आएगा 'लव-कुश' समीकरण?

chat bot
आपका साथी