बारिश में उफनाते हैं नाले-नालियां, पानी-पानी हो जाता है शहर

मेरठ। बारिश का मौसम आ गया है। आपकी कालोनी की गलियों में कब गंदा पानी और नाले-नालियों

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Jun 2018 03:00 AM (IST) Updated:Fri, 29 Jun 2018 03:00 AM (IST)
बारिश में उफनाते हैं नाले-नालियां, पानी-पानी हो जाता है शहर
बारिश में उफनाते हैं नाले-नालियां, पानी-पानी हो जाता है शहर

मेरठ। बारिश का मौसम आ गया है। आपकी कालोनी की गलियों में कब गंदा पानी और नाले-नालियों का कूड़ा-गोबर पहुंच जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि जल निकासी की व्यवस्था भगवान भरोसे है। नाले कूड़े और गोबर से अटे पड़े हैं। नालियां भी चोक हैं। शहर हर साल इन मुसीबतों से जूझता है, लेकिन सुधार के नाम पर कुछ होता नहीं।

क्या है शहर में जल निकासी की स्थिति

शहर में जल निकासी के लिए 285 नालों का जाल बिछा है। जिसमें तीन नाले अति विशाल, 19 नाले विशाल तथा 263 नाले कुछ छोटे और विभिन्न आकार वाले हैं। शायद ही कोई नाला ऐसा बचा होगा जिसमें कूड़ा न डाला जाता हो। इन नालों की औसतन लंबाई लगभग 131 किमी और चौड़ाई 20 मीटर, गहराई 30 फीट तक है। नगर निगम के एक आंकड़े अनुसार लगभग 20 लाख टन से भी ज्यादा कचरा भरा है, इसलिए जब भी बारिश होती है ये नाले उफन जाते हैं। पानी पहले सड़कों पर भरता है और फिर घरों में घुस जाता है।

धरातल पर नहीं उतरे सुधार के प्रयास

हर साल 15 करोड़ से ज्यादा राशि नालों के सुधार पर खर्च की जाती है। दस वर्षो में 140 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च हो चुकी है। यही नहीं जल निकासी की विशेष योजना के लिए जल निगम ने तीन करोड़ व एमडीए ने 503 करोड़ की आबू कैनाल योजना बनाई। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से ऋण लेकर 38 किमी आबू नाले में से 20 किमी का जीर्णोद्धार करने की योजना थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। 2014 में नगर निगम ने 413 करोड़ की योजना से नालों की सुरक्षा और विशेष सफाई की विशेष योजना बनाई, लेकिन इसके लिए शासन से धन नहीं मिला।

कूड़ा और दलदल है ओडियन नाले की हकीकत

दिल्ली गेट से भूमिया पुल रोड पर ओडियन नाला स्थित है। यह नाला गोबर, कूड़ा और प्लास्टिक से अटा रहता है। इसमें कहीं कूड़ा तो कहीं दलदल मिलता है। सफाई के नाम पर कभी कभार अभियान चलता है। लेकिन नाले के ऊपर कुछ सफाई करा दी जाती है। नाले के नीचे जमा सिल्ट नहीं निकाली जाती। नालें में जमा कूड़ा व गोबर का हाल ये है कि उस पर लोग आसानी से चहलकदमी कर लेते हैं। इसकी वजह यह है कि सफाई न होने से ये गोबर सूखते रहते हैं और ऊपर एक मजबूत परत बना लेते हैं। नाले का पानी ठहरा हुआ है जिसकी वजह से दुकानदार व यहां से गुजरने वाले लोग इसकी दुर्गध से परेशान रहते हैं। नगर निगम ने खानापूर्ति के लिए इस नाले पर एक जेसीबी तैनात कर दी है, लेकिन लोगों का कहना है कि ये अक्सर खड़ी ही रहती है क्योंकि नाले का मलबा उठाने के लिए कोई ट्राली नहीं आती।

ये हैं शहर के हालात

मुख्य नाले : 03

बड़े नाले : 19

छोटे नाले : 263

सीवर लाइन : 445 किमी

नाला सुधार में खर्च : 140 करोड़ शहर के मुख्य नाले

- ओडियन नाला

- आबूनाला एक

- आबूनाला दो (गंगानगर)

- कोटला का नाला

- थापरनगर बच्चापार्क नाला

- फिल्मिस्तान नाला

- सुभाषनगर नाला

- फूलबाग नाला

- मोहनपुरी नाला

- मकाचीन नाला

- साकेत सेंट ल्यूक नाला

- दिल्ली रोड नाला

- पांडव नगर नाला

- पीएसी रुड़की रोड नाला

- कंकरखेड़ा नाला

- हाशिमपुरा नाला

- मकबरा अबू सफाई को खानापूर्ति मानते हैं दुकानदार

ओडियन नाले की मुख्य समस्या गोबर व प्लास्टिक है। इसकी वजह से नाला हमेशा अटा रहता है। सफाई के बाद यह फिर वही स्थिति हो जाती है। गोबर व प्लास्टिक नाले में डालने से रोकना होगा।

-वर्णित गुप्ता, न्यू गुप्ता टेंट हाउस इसकी सफाई में सिर्फ खानापूर्ति होती है। नाला काफी गहरा है और गहराई तक सिल्ट नहीं निकाली जाती, यदि गहराई से सफाई हो तो पानी का बहाव होगा। तभी दुर्गध से भी मुक्ति मिलेगी।

-निशिकांत, गीता इलेक्ट्रानिक्स

ओडियन नाले के आसपास के दुकानदार इसके दुर्गध से हमेशा परेशान रहते हैं। रोजी-रोटी की वजह से दुकानदार भी दुकान खोले हुए हैं और ग्राहक भी मजबूरी की वजह से ही आते हैं।

-चंद्रशेखर शर्मा, शर्मा जनरल स्टोर ओडियन नाले की सफाई सिर्फ ऊपर-ऊपर ही होती है। ऊपर जो कबाड़ तैर रहा होता है उसे ही कभी-कभार हटा दिया जाता है। जबकि गहराई में कई फीट तक सिल्ट जमा है।

-मदन मोहन, पराग दूध स्टोर

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