Coronavirus Effect : संक्रमण से 'घरों की दूरी' पर विचार, कई और बड़े बदलाओं को भविष्‍य में लाने की तैयारी

कोविड-19 ने बहुत कुछ बदला। जीने-खाने का तरीका बदला। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाई तो इसने शारीरिक दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत समझायी।

By Prem BhattEdited By: Publish:Wed, 16 Sep 2020 05:27 PM (IST) Updated:Wed, 16 Sep 2020 05:27 PM (IST)
Coronavirus Effect : संक्रमण से 'घरों की दूरी' पर विचार, कई और बड़े बदलाओं को भविष्‍य में लाने की तैयारी
Coronavirus Effect : संक्रमण से 'घरों की दूरी' पर विचार, कई और बड़े बदलाओं को भविष्‍य में लाने की तैयारी

प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। कोविड-19 ने बहुत कुछ बदला। जीने-खाने का तरीका बदला। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाई तो इसने शारीरिक दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत समझायी। इन्हीं बदलावों और विभिन्न अध्ययनों की रिपोर्ट से अब यह विचार चल रहा है कि अब घरों के बीच की दूरी का कांसेप्ट लाया जाए। अभी यह कांसेप्ट चर्चाओं के चरण में है। चर्चा जब उच्च स्तर पर शहर विकसित करने वाले विशेषज्ञों के बीच हो रही है तो इसका मतलब है कि कुछ दिन में यह नियमों का रूप लेकर सामने आ सकता है। इनकी चर्चा टाउन प्‍लानिंग ऑफ इंडिया सरीखे संस्थाओं की वेबिनार में हो रही है।

गगनचुंबी नहीं चार मंजिला इमारतें बनेंगी

टाउर प्लानरों ने जो जरूरत बताई है इसके अनुसार ऊंची यानी गगनचुंबी इमारतें न बनाई जाएं। चार मंजिला इमारत से ज्यादा बनाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। यह माना गया है कि ज्यादा ऊंची इमारतों की वजह से कम स्थान पर ज्यादा लोग रहने पर मजबूर होते हैं। छोटे से स्थान पर टावर खड़े कर दिए जाते हैं जिससे उनके पार्कों में भारी भीड़ जुटती है। टावरों के बीच भी जगह पर्याप्त नहीं होती है जिससे सूर्य की रोशनी व साफ हवा नहीं मिल पाती।

पुराने शहर से बाहर भेजने को प्रोत्साहन

टाउन प्लानरों की चर्चाओं में यह भी सामने आया है कि पुराने शहर में संकरी गलियां, एक दूसरे से सटे हुए घर होने की वजह से उनमें पर्याप्त रोशनी नहीं पहुंच पाती। साफ हवा नहीं रहती। पौधारोपण व सफाई की गुंजाइश नहीं रहती। कोरोना संक्रमण के दौरान यह पाया गया कि सघन आबादी वाले या भीड़-भाड़ क्षेत्र इसके प्रभाव में ज्यादा आए। ऐसे में पुराने शहर के लोगों को बाहरी व खुले क्षेत्र में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

घर दूर बनाने की मिलेगी सलाह

लोगों की आदत रही है कि एक-एक पतली दीवार बनाकर पड़ोसी घर बनाते जाते हैं। ऐसे में छत और सामने के अलावा अन्य किसी तरफ से रोशनी व हवा नहीं आ पाती। ऐसे में लोगों को स्वास्थ्य के नजरिए से सलाह दी जाएगी कि दीवारों को सटाकर बनाने के बजाय थोड़ी -थोड़ी जगह छोड़ें और खिड़की रखें।

इन्होंने कहा...

शारीरिक दूरी के साथ ही घरों के बीच की दूरी भी जरूरी हो गया है। बहुत से लोग इसे मानते हैं जबकि काफी लोग इसे नहीं मानते। कम क्षेत्रफल के लोग ऐसा नहीं कर पाते कि दीवार में खिड़की के लिए जगह छोड़ें। पर अब ऐसी जरूरत महसूस की जा रही है। अभी सरकारी स्तर से तो नहीं पर टाउन प्लानरों की वेबिनारों में अब इस कांसेप्ट पर विशेष चर्चा हो रही है। हालांकि विशेषज्ञों की राय लेकर सरकारें जरूरी संशोधन भी करती हैं। -इश्तियाक अहमद, चीफ टाउन प्लानर, मेरठ विकास प्राधिकरण व नोएडा  

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