प्रदूषण पर प्रहार : मेरठ में इस बार सर्दियों में सन्नाटे में रहेंगे जनरेटर

पंजाब एवं हरियाणा की ओर से नार्थ-वेस्ट हवा दिल्ली की ओर चलने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है। इन हवाओं के साथ पराली से लेकर औद्योगिक उत्सर्जन के प्रदूषक नई दिल्ली-एनसीआर में दाखिल होने लगे हैं। इससे प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है।

By Edited By: Publish:Sun, 04 Oct 2020 05:00 AM (IST) Updated:Sun, 04 Oct 2020 05:00 AM (IST)
प्रदूषण पर प्रहार : मेरठ में इस बार सर्दियों में सन्नाटे में रहेंगे जनरेटर
पूरे क्षेत्र में पारा गिरने के साथ ही हवा ने भी रुख बदला है।

मेरठ, जेएनएन। पारा गिरने के साथ ही हवा ने भी रुख बदला है। पंजाब एवं हरियाणा की ओर से नार्थ-वेस्ट हवा दिल्ली की ओर चलने से पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है। इन हवाओं के साथ पराली से लेकर औद्योगिक उत्सर्जन के प्रदूषक नई दिल्ली-एनसीआर में दाखिल होने लगे हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि एनसीआर में प्रदूषण का स्तर भयावह स्तर तक पहुंचेगा। इन्वायरमेंटल पोल्यूशन कंट्रोल एथारटी ने सीजन भर के लिए जनरेटरों पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है।ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल दिसंबर से पहले एनसीआर की कई साइटों का आकस्मिक निरीक्षण करेंगे।

लाकडाउन के दौरान एनसीआर में वायु एवं जल प्रदूषण में 70 फीसद तक कमी आ गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी माना कि हालात में बड़ा सुधार हुआ है। पता चला कि जल प्रदूषण में दो तिहाई सीवेज, जबकि एक तिहाई केमिकल प्रदूषण होता है। अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाई जाती है, जिसको लेकर अभी से एनसीआर की सासें उखड़ने लगी हैं। अब हवा का रुख पंजाब-हरियाणा से नई दिल्ली की ओर है, ऐसे में दिल्ली-मेरठ में पीएम-2.5 एवं पीएम10 की मात्रा बढ़ेगी।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने औद्योगिक इकाइयों को चिमनियों को ऊंची करने एवं फिल्टर लगाने के लिए कहा है। आनलाइन मानीटरिंग के लिए भी योजना बन रही है। मेरठ में बड़े पैमाने पर डीजल वाहन, टेंपो, जेनसेट एवं कोल्हू चलते हैं, जिसका धुआ हवा का दम घोंट सकता है। साथ ही सड़कों एवं निर्माण साइटों का धूलकण सास के लिए खतरा बन रहा है। हालांकि इससे इतर औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना शाम को कूड़े में आग लगाकर मानकों का खुलेआम उल्लंघन होता है। दो कमी से एक किमी तक गिरा प्रदूषण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक एसके त्यागी ने बताया कि सíदयों में पारा गिरने से दो कमी ऊंचाई तक पहुंचा प्रदूषित कण नीचे आ जाएगा।

सर्दियों के दौरान औद्योगिक चिमनियों का निकला धुआ हवा की निचली परत में रह जाता है, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में अस्थमा, सीओपीडी, लंग्स कैंसर एवं हृदय रोगी मिल रहे हैं। 2016 से 2020 के बीच लंग्स कैंसर के मरीजों का आकड़ा 30 फीसद तक बढ़ गया। बच्चों में वायु प्रदूषण का सबसे खतरनक असर दिख रहा है।

इनका कहना है

ईपीसीए ने सर्दियों में जनसेट पूरी तरह बंद रखने के लिए कहा है, जिससे वायु प्रदूषण में सुधार की उम्मीद बढ़ेगी। जिन स्थानों पर कूड़ा जल रहा हो, वहा का फोटो लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साइट पर लोड करने से भी एक्शन होगा। हालाकि और प्रभावी कदम उठाने जरूरी हैं। कंस्ट्रक्शन साइटों पर प्रदूषण के दिनों में पाबंद लगानी चाहिए।

- एसके त्यागी, पर्यावरण वैज्ञानिक, गाजियाबाद

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