गांधीवादी चिंतक धर्म दिवाकर शर्मा का निधन, शोक की लहर

गांधीवादी चिंतकवरिष्ठ कांग्रेसी और कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन धर्म दिवाकर शर्मा का बुधवार तड़के निधन हो गया। उनके निधन से कांग्रेसियों में शोक की लहर दौड़ गई।

By Ashu SinghEdited By: Publish:Wed, 20 Mar 2019 02:02 PM (IST) Updated:Wed, 20 Mar 2019 02:02 PM (IST)
गांधीवादी चिंतक धर्म दिवाकर शर्मा का निधन, शोक की लहर
गांधीवादी चिंतक धर्म दिवाकर शर्मा का निधन, शोक की लहर
मेरठ, जेएनएन। गांधीवादी चिंतक,वरिष्ठ कांग्रेसी और कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन धर्म दिवाकर शर्मा ने 83 साल की उम्र में बुधवार तड़के 2.30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से कांग्रेसियों में शोक की लहर दौड़ गई। पीएल शर्मा रोड स्थित उनके निवास स्थान पर कांग्रेस नेताओं समेत शहर के गणमान्य लोग बड़ी संख्या में भावभीनी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। गांधीवादी चिंतक के निधन पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रतिनिधि ने फोन कर शोक संवेदना व्यक्त की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहसिना किदवई ने भी फोन कर उनके निधन पर गहरा दुख जताया है।
शोक संवेदना व्यक्त की
राष्ट्रीय लोकदल के नेता पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ मेहराजुद्दीन अहमद समेत अन्य नेता शोक संवेदना व्यक्त करने उनके निवास स्थान पहुंचे। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। गांधीवादी चिंतक लेखक और कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन रहे धर्म दिवाकर का जन्म 3 नवम्बर 1936 को बिजनौर के शेरकोट में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में हुआ था। वह 14 साल तक मेरठ शहर कांग्रेस के अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष रहे। कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे।
स्टूडेंट लीडर के रूप में पहचान
मेरठ कालेज में स्टूडेंट लीडर के रूप में उनकी पहचान रही। एक बार वह कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी भी लड़े। साम्प्रदायिक दंगे के चलते परिणाम सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। वह बहुत मृदु भाषी,मिलनसार,चिंतक, लेखक थे। उन्होंने कांग्रेस आंदोलन के दौरान जेल की यातनाएं भी सही। अपने लेखन से राजनीति को परिभाषित करते रहे। डॉ.आंबेडकर और सामाजिक न्याय, एक इंकलाब और चाहिए, अब गांधी चुप नहीं रहेगा जैसी तमाम किताबें लिखी। इसी साल फरवरी में इनकी किताब भारतीय गणतंत्र और हम का विमोचन हुआ था। वह पीएल शर्मा ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे। गांधी वादी चिंतक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी थे। उनका जाना शहर के लिए अपूरणीय क्षति है। आजादी की सुबह का नजारा कैसा था यह जानने के लिए लोग उन्हें याद करते थे। 
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