किसानों का फायदा : अब 38 डिग्री तापमान में भी हो सकेगी चने की खेती

यह किसानों के हितों की बात है। चने में जेनेटिक कोड के जरिए तैयार की जाएगी खास प्रजातिगर्मी में भी होगा बेहतर उत्पादन और गुण भी बरकरार रहेंगे।

By Ashu SinghEdited By: Publish:Wed, 01 May 2019 09:36 AM (IST) Updated:Wed, 01 May 2019 09:36 AM (IST)
किसानों का फायदा : अब 38 डिग्री तापमान में भी हो सकेगी चने की खेती
किसानों का फायदा : अब 38 डिग्री तापमान में भी हो सकेगी चने की खेती
मेरठ, [विवेक राव]। गुणों से भरपूर चना हमारे आहार का प्रमुख स्रोत है। चना ठंडे मौसम की फसल है लेकिन बढ़ते तापमान के कारण इसकी उपज लगातार गिर रही है। किसान भी इस खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने चने में ऐसे जेनेटिक कोड की खोज की है,जिसकी मदद से विकसित प्रजाति पर सूखा और बढ़ते तापमान का कोई असर नहीं पड़ेगा। 38 डिग्री तापमान में भी चने की खेती को किया जा सकेगा। 
बेहतर होगा प्रोडक्शन
उत्पादन भी बेहतर होगा। वैश्विक स्तर का यह शोध कृषि वैज्ञानिक डा. राजीव वाष्ण्रेय के सहयोग से पूरा हुआ है। डा. वाष्ण्रेय चौ.चरण सिंह विश्वविद्यालय के जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग विभाग में शोधार्थी रहे हैं। यह शोध विश्व प्रसिद्ध ‘नेचर जेनेटिक्स’पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।
ये हैं प्रभावी जींस
डा. वाष्ण्रेय बताते हैं कि चने में आरइएन-1, बी-1, 3, ग्लूकेनेज, आरइएफ-6 जैसे जींस की खोज की गई है। इससे चने की नई प्रजाति विकसित कर सकेंगे। इस प्रजाति की फसल 38 डिग्री तापमान पर भी भरपूर उपज दे सकती है।
429 प्रजातियों पर रिसर्च
कृषि वैज्ञानिक डा. राजीव कई साल से चने की ऐसी प्रजाति खोजने में जुटे हैं, जो बढ़ते तापमान में भी भरपूर उत्पादन दें और पोषक तत्वों की भी प्रचुरता हो। डा. राजीव ने चने की 429 प्रजातियों पर रिसर्च की। इसमें उन्होंने एक ऐसे जीन को खोजा है, जो सूखा और बढ़ते तापमान में भी फसल को सूखने नहीं देगा। इस जेनेटिक कोड की सहायता से चने की ऐसी प्रजाति विकसित की जाएगी, जिस पर उच्च तापमान का कोई असर नहीं होगा और पैदावार भी भरपूर मिलेगी।
हैदराबाद में रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर
वैश्विक स्तर पर 45 देशों के 21 शोध संस्थानों और 39 वैज्ञानिकों की टीम इस रिसर्च में जुटी रही। इसके प्रमुख डा. राजीव वाष्ण्रेय रहे हैं। डा. वाष्ण्रेय वर्तमान में इंटरनेशनल क्राप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फार सेमी-एरिड ट्रापिक्स, हैदराबाद में रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर हैं।

क्रांतिकारी होगा यह कदम
चने की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और बिहार में होती है। इन प्रदेशों में देश के कुल चना क्षेत्रफल की लगभग 90 प्रतिशत फसल पैदा होती है जबकि कुल उत्पादन का करीब 92 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं प्रदेशों से प्राप्त होता है। भारत चने का सबसे अधिक उत्पादक है। चौ. चरण सिंह विवि में जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग विभाग के प्रोफेसर और डा. वाष्ण्रेय के शिक्षक रहे पीके गुप्ता का कहना है कि सूखा और गर्मी से बेअसर प्रजाति विकसित करने में डा. राजीव का यह शोध क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
इनका कहना है
चने में जेनेटिक कोड के जरिए तैयार की जाएगी खास प्रजाति,गर्मी में भी होगा बेहतर उत्पादन और गुण भी बरकरार रहेंगे।
- डा.राजीव वाष्ण्रेय
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