पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी के मीट प्लांट पर इस वजह से लगेगी सील
पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी के मीट प्लांट पर इसी हफ्ते सील लगा दी जाएगी। ग्रीन बेल्ट का निर्माण न हटाने के कारण एमडीए ने सील लगाने की तैयारी कर ली है।
मेरठ, जेएनएन। शमन मानचित्र का आवेदन और 25 लाख रुपये शमन शुल्क जमा करने के बावजूद याकूब कुरैशी के प्लांट पर इसी सप्ताह सील लगा दी जाएगी। फिलहाल, कंपनी के शमन मानचित्र का प्रकरण लंबित है।
मानचित्र स्वीकृति का मामला
याकूब कुरैशी का मीट प्लांट अलफहीम मीटेक्स प्रा. लि. हापुड़ रोड पर गांव ढिकौली शाकरपुर में है। 13.17 हेक्टेयर भूमि पर बनी फैक्ट्री का 10.75 हेक्टेयर भूमि सार्वजनिक सुविधाओं वाली सरकारी भूमि, 0.544 हेक्टेयर रोड वाइडनिंग, 1.132 हेक्टेयर ग्रीन वर्ज का है। इसमें से मात्र 0.137 हेक्टेयर भूमि ही औद्योगिक प्रयोग वाली है। कंपनी की ओर से मानचित्र स्वीकृति व भू उपयोग परिवर्तन के लिए आवेदन किया गया था। इस पर एमडीए ने कुछ आपत्तियां लगाई थीं जिसे पूरा न करने पर मानचित्र निरस्त कर दिया गया था और उसके कुछ समय बाद सील लगाकर एक जुलाई 2015 को ध्वस्तीकरण का आदेश कर दिया गया। हालांकि इस पर कंपनी की ओर से आयुक्त के न्यायालय में अपील दाखिल हुई थी जिसमें कुछ शर्तों का पालन करने पर मानचित्र स्वीकृति के लिए एमडीए बोर्ड के सामने प्रस्ताव रखने का निर्णय हुआ।
यह हुआ निर्णय
निर्णय यह था कि ग्रीन बेल्ट और रोड वाइडनिंग से निर्माण स्वयं कंपनी ध्वस्त कर ले और जो सार्वजनिक भूमि कब्जाई गई है उतने क्षेत्रफल की भूमि कंपनी की ओर से खरीद करके उपलब्ध कराई जाए। इसी क्रम में इसी वर्ष 15 फरवरी को एमडीए बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था मगर जो शर्तें आयुक्त न्यायालय ने रखी थीं उसके पालन होने की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हुई। इसलिए बोर्ड ने रिपोर्ट प्रस्तुत होने की स्थिति में ही विचार करने का निर्णय दिया था।
इनका कहना है
एमडीए सचिव राजकुमार का कहना है कि रोड वाइडनिंग का आंशिक निर्माण तो हटाया गया है मगर ग्रीन बेल्ट का कोई निर्माण नहीं हटाया गया। बहरहाल, शर्तें पूरी न करने को कारण बताते हुए एमडीए ने अब कंपनी पर सील लगाने की तैयारी कर ली है।
मानचित्र स्वीकृति का मामला
याकूब कुरैशी का मीट प्लांट अलफहीम मीटेक्स प्रा. लि. हापुड़ रोड पर गांव ढिकौली शाकरपुर में है। 13.17 हेक्टेयर भूमि पर बनी फैक्ट्री का 10.75 हेक्टेयर भूमि सार्वजनिक सुविधाओं वाली सरकारी भूमि, 0.544 हेक्टेयर रोड वाइडनिंग, 1.132 हेक्टेयर ग्रीन वर्ज का है। इसमें से मात्र 0.137 हेक्टेयर भूमि ही औद्योगिक प्रयोग वाली है। कंपनी की ओर से मानचित्र स्वीकृति व भू उपयोग परिवर्तन के लिए आवेदन किया गया था। इस पर एमडीए ने कुछ आपत्तियां लगाई थीं जिसे पूरा न करने पर मानचित्र निरस्त कर दिया गया था और उसके कुछ समय बाद सील लगाकर एक जुलाई 2015 को ध्वस्तीकरण का आदेश कर दिया गया। हालांकि इस पर कंपनी की ओर से आयुक्त के न्यायालय में अपील दाखिल हुई थी जिसमें कुछ शर्तों का पालन करने पर मानचित्र स्वीकृति के लिए एमडीए बोर्ड के सामने प्रस्ताव रखने का निर्णय हुआ।
यह हुआ निर्णय
निर्णय यह था कि ग्रीन बेल्ट और रोड वाइडनिंग से निर्माण स्वयं कंपनी ध्वस्त कर ले और जो सार्वजनिक भूमि कब्जाई गई है उतने क्षेत्रफल की भूमि कंपनी की ओर से खरीद करके उपलब्ध कराई जाए। इसी क्रम में इसी वर्ष 15 फरवरी को एमडीए बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था मगर जो शर्तें आयुक्त न्यायालय ने रखी थीं उसके पालन होने की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हुई। इसलिए बोर्ड ने रिपोर्ट प्रस्तुत होने की स्थिति में ही विचार करने का निर्णय दिया था।
इनका कहना है
एमडीए सचिव राजकुमार का कहना है कि रोड वाइडनिंग का आंशिक निर्माण तो हटाया गया है मगर ग्रीन बेल्ट का कोई निर्माण नहीं हटाया गया। बहरहाल, शर्तें पूरी न करने को कारण बताते हुए एमडीए ने अब कंपनी पर सील लगाने की तैयारी कर ली है।