हर बार गिरकर उठने वाला ही खिलाड़ी होता है

टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल एशियन गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज यादव और जूनियर व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता नवदीप सिंह ने शनिवार को सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल मेरठ में खिलाड़ियों को सम्मानित व प्रोत्साहित किया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 07:57 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 09:56 PM (IST)
हर बार गिरकर उठने वाला ही खिलाड़ी होता है
हर बार गिरकर उठने वाला ही खिलाड़ी होता है

मेरठ, जेएनएन। टोक्यो पैरालंपिक गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल, एशियन गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज यादव और जूनियर व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता नवदीप सिंह ने शनिवार को सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल मेरठ में खिलाड़ियों को सम्मानित व प्रोत्साहित किया। सुमित ने बच्चों से कहा कि जीवन में जैसा भी उतार-चढ़ाव आये, जैसी भी परिस्थितिया आएं स्वयं को प्रोत्साहित करते रहें। यह मानकर चलें कि जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। टोक्यो पैरालिंपिक गेम्स में सबसे कम आयु के खिलाड़ी रहे नवदीप ने कहा कि जब हम दिव्यांग होकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं, तो आप हम से कहीं ज्यादा कर सकते हैं। सफलता हमेशा नहीं मिलती, लेकिन जब मिलती है तो खुशी बया नहीं की जा सकती। नीरज यादव ने कहा कि जीवन में कभी निराश न हो। हमेशा स्वयं को प्रोत्साहित करते रहें।

छात्रों ने पूछे सवाल, मिले प्रेरक जवाब

छात्र-छात्राओं के सवालों का जवाब देते हुए सुमित ने बताया कि पैरालिंपिक गेम्स में दबाव बहुत ज्यादा था। पदक जीतने के बाद भी वह एक सपने जैसा ही लग रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर हाल जाना और बधाई दी। उनको भी धन्यवाद के अलावा कुछ नहीं बोल सके। पदक जीतने के बाद जब तिरंगा ऊपर उठा तो वह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल रहा। वापस लौटने पर प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिला जोकि बुढ़ापे तक भी याद रहेगा। ऐसा सौभाग्य कम लोगों को मिलता है। हमने वह सफलता हासिल की इसलिए प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिला। सुमित ने कहा कि गिर कर उठना ही जिंदगी है। खेल हो या पढ़ाई हार नहीं माननी चाहिए।

हर शुरुआत जीरो से होती है

मानसिक शक्ति पर नवदीप ने बताया कि वह दिव्याग हैं यह सभी को पता था लेकिन फिर भी बताते थे। उसे ही अपनी ताकत बनाया और जिद की कि एक दिन देश का नाम रोशन करूंगा और देश को गौरव करने का मौका दूंगा। सभी की शुरुआत जीरो से ही हुई है। असफलता के बाद ही सफलता मिलती है। दो-तीन सफलताओं के बाद फिर असफलता मिलती है और उसके बाद जब सफलता मिलती है, तभी उसका महत्व पता चलता है। गिरकर उठने वाले ही अच्छे खिलाड़ी होते हैं। हमने भी यह मुकाम एक दिन में हासिल नहीं किया। पांच से 10 साल मेहनत की और यहा तक पहुंचे हैं।

असफलता को हार न मानें

नीरज यादव ने बताया कि जब पहली बार खेल का विचार मन में आया तो उन्होंने दोस्तों को जानकारी दी। दोस्तों ने प्रेरित किया और वह आगे बढ़ चले। कहा कि असफलता को हार न माने। स्वयं से हार न मानें। जोश बरकरार रखें। तीनों खिलाड़ियों के कोच विपिन कसाना ने कहा कि इनके साथ जुड़ना एक अलग अनुभव रहा। इनकी तमाम समस्याओं के बाद भी यह खेल पर ही फोकस रहे और मेहनत करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रिंसिपल डा. अलका शर्मा, एएसपी सूरज राय, डा. विनीत त्यागी ने पैरालिंपियन खिलाड़ियों को सम्मानित किया। छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी।

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