Eid Ul Adha 2021: पश्चिमी यूपी में उल्लास के साथ मनाई गई बकरीद, मेरठ काजी बोले- दो बच्चों की हदबंदी मान्य नहीं
ईद अल अजहा के मौके पर मेरठ समेत वेस्ट यूपी में लोगों ने घर में ही रहकर र्इद की नमाज अदा की। कुछ मस्जिदों में सिमित संख्या में मौलानाओं ने कोरोना के खात्मे के लिए दुआ मांगी। इसी मौके पर मेरठ शहर काजी ने जनसंख्या कानून को नकार दिया।
मेरठ, जेएनएन। ईद उल अजहा के मौके पर मेरठ समेत वेस्ट यूपी में लोगों ने घर में ही रहकर र्इद की नमाज अदा की। कुछ मस्जिदों में सिमित संख्या में मौलानाओं ने कोरोना के खात्मे के लिए दुआ मांगी। तो वहीं नए कपड़े पहनकर नमाजियों ने एक दुसरे को फोन पर ही बधाई संदेश भेजे। शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। कई शहरों में रूट भी डायवर्ट की गई थी। जिससे बेवजह भीड़ न बढ़े और न ही किसी तरह की असुरक्षा पैदा हो। मेरठ समेत मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बुलंदशहर, सहारनपुर के देवबंद में उल्लास के साथ त्योहार मनाया गया।
ईद उल अजहा का त्योहार पर सुबह से शहर में जगह-जगह उल्लास का माहौल रहा। नए कपड़े पहन कर छोटे और बड़े हर उम्र के लोग नमाज के लिए जाते नजर आए। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रशासन ने ईदगाह में जमात में नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी। मस्जिदों में नमाज अदा की गई। मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ न लगे इसके लिए जगह पुलिस तैनात रही। मेरठ शाही जाम मस्जिद में शहर काजी जैनुस साजिदीन ने बकरीद की नमाज अदा कराई। नमाज के बाद दुआ हुई। कोरोना महामारी को समाप्त करने के लिए दुआ की गई। खुत्बा पढ़ते हुए अपने संदेश में शहर काजी ने कुर्बानी के मर्म को बताया। कहा अल्लाह तक जानवर का गोश्त और खून नहीं पहुंचता है। अल्लाह के हुक्म मानने का जज्बा ही इस त्योहार को मनाने का मुख्य उद्देश्य है।
मेरठ शहर काजी बोले- इस्लाम में दो बच्चों की हदबंदी मान्य नहीं
कहा दो बच्चों की हदबंदी इस्लाम में मान्य नहीं है। अल्लाह जिस जानदार चीज को पैदा करता है उसकी खुराक का इंतजाम करता है। सरकार का दो से अधिक बच्चों वालों को सरकारी सहायता से वंचित करने का फरमान पूरी तरह गलत है। शहर काजी ने कहा कि इस्लाम भाईचारे और समानता का संदेश देता है। कोई छोटा बड़ा नहीं है सब एक आदम की संतान हैं। नमाज के बाद लोग कुर्बानी की तैयारियों में जुट गए। शाही ईदगाह पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। ईदगाह जाने वाले मार्गों पर पुलिस ने आवागमन प्रतिबंधित कर दिया था। शहर की सभी मस्जिदों में नमाज अदा हुई। खाने पीने के चीजों विशेष रूप से कचौड़ी और खस्ते की दुकानों पर खासी भीड़ रही। बच्चों के खिलौनों की दुकानें भी जगह सजी रहीं। कांच के पुल के पास झूले और बच्चों के मनोरंजन के साधन लगाए गए।