आंकड़ों में घटा डेंगू, पर अस्पतालों में हालात खतरनाक

मच्छरजनित बीमारी डेंगू अब भी खतरनाक बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मरीजों की संख्या घटी है लेकिन निजी अस्पतालों में डेंगू वार्ड भरे हुए हैं। गंभीर लक्षणों वाले मरीज ज्यादा हैं साथ ही शाक सिंड्रोम का खतरा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Nov 2021 10:29 AM (IST) Updated:Thu, 11 Nov 2021 10:29 AM (IST)
आंकड़ों में घटा डेंगू, पर अस्पतालों में हालात खतरनाक
आंकड़ों में घटा डेंगू, पर अस्पतालों में हालात खतरनाक

मेरठ, जेएनएन। मच्छरजनित बीमारी डेंगू अब भी खतरनाक बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मरीजों की संख्या घटी है, लेकिन निजी अस्पतालों में डेंगू वार्ड भरे हुए हैं। गंभीर लक्षणों वाले मरीज ज्यादा हैं साथ ही शाक सिंड्रोम का खतरा है।

मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग और डेंगू वार्ड में बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं। रोजाना करीब 20 यूनिट प्लेटलेट चढ़ानी पड़ रही हैं। वहीं, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डा. कौशलेंद्र ने बताया कि सप्ताहभर में 75-80 यूनिट प्लेटलेट की खपत है। आनंद अस्पताल के मैनेजर मुनेश पंडित ने बताया कि दीवाली के आसपास ढाई सौ मरीज भर्ती थे, जहां अब संख्या पौने दो सौ है। न्यूटिमा के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग ने बताया कि संक्रमण में कमी भले आई हो, लेकिन गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा है। कई मरीजों के लिवर, गुर्दे और आंतों में सूजन मिल रही है। बड़ी संख्या में मरीज आइसीयू में भी भर्ती हैं। ये हैं खतरनाक लक्षण

-डेंगू हैमरेजिक बुखार: डेंगू संक्रमण में प्लेटलेट तेजी से गिरती हैं। अंगों में आंतरिक रूप से स्राव होने लगता है। मसूड़ों से खून आने, उल्टी में खून और पेट में तेज दर्द खतरनाक लक्षण हैं। मरीजों को तत्काल भर्ती करना चाहिए।

डेंगू शाक सिंड्रोम: डेंगू संक्रमित मरीजों में बेहोशी, चक्कर आने और ब्लड प्रेशर गिरने के लक्षण जानलेवा हैं। कई बार इलाज के बाद भी मरीजों की जान चली जाती है।

क्या खाएं मरीज: पतली खिचड़ी, पपीता, नारियल का पानी, किवी, अंगूर, साबूदाना, पतली खीर, आंवला आदि। डेंगू वार्ड में बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज चल रहा है। वायरल ने किडनी, लिवर और अन्य अंगों पर घातक असर छोड़ा है। कई बार कैपिलरी लीक होने से रक्त कोशिकाएं गाढ़ी हो जाती हैं, और हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है, जो जानलेवा है। मरीज को तरल पदार्थ देते रहना चाहिए।

डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ

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