Delhi-Meerut RRTS Corridor: 22 मीटर गहराई व 257 मीटर लंबाई में बनेगा भैंसाली भूमिगत स्टेशन, जानिए कुछ और खास बातें

Delhi-Meerut RRTS Corridor दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कारिडोर के अंतर्गत मेरठ शहर में तीन भूमिगत स्टेशनों में भैंसाली का कार्य तेजी से चल रहा है। सबसे पहले इसकी शुरुआत हुई है। यह स्टेशन भैंसाली डिपो के नजदीक परिवहन निगम की वर्कशाप की जमीन के नीचे बनाया जा रहा है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 01:15 PM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 01:15 PM (IST)
Delhi-Meerut RRTS Corridor: 22 मीटर गहराई व 257 मीटर लंबाई में बनेगा भैंसाली भूमिगत स्टेशन, जानिए कुछ और खास बातें
जानिए भैंसाली भूमिगत स्‍टेशन की खास बातें।

जागरण संवाददाता, मेरठ। Delhi-Meerut RRTS Corridor दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कारिडोर के अंतर्गत मेरठ शहर में तीन भूमिगत स्टेशनों में भैंसाली का कार्य तेजी से चल रहा है। सबसे पहले इसकी शुरुआत हुई है। यह स्टेशन भैंसाली डिपो के नजदीक परिवहन निगम की वर्कशाप की जमीन के नीचे बनाया जा रहा है। यह स्टेशन 22 मीटर गहराई में बनेगा। इसकी लंबाई 257 मीटर रहेगी। यहां पर सिर्फ मेरठ मेट्रो रुकेगी। रैपिड रेल सीधे निकल जाएगी इसलिए इस स्टेशन पर दोनों तरफ दो ट्रैक होंगे। मेट्रो चूंकि तीन डिब्बों की लाइट मेट्रो होगी इसलिए उसके लिए छोटा-सा प्लेटफार्म बनाया जाएगा।

चल रहा है डी-वाल यानी बाहरी दीवार का निर्माण: भैंसाली के भूमिगत स्टेशन निर्माण के लिए डी-वाल यानी बाहरी दीवार का निर्माण चल रहा है। एक डी-वाल के लिए 24 मीटर लंबा और एक मीटर चौड़ा फ्रेम जमीन के अंदर पहुंचाया जाता है। फिर इसमें कंक्रीट भरी जाती है। कुल 121 डी-वाल से बाहरी ढांचा तैयार होगा।

खास बिंदु

2022 अक्‍टूबर में तैयार हो जाएगा भैंसाली भूमिगत स्‍टेशन का ढ़ाचा

257 मीटर रहेगी भैंसाली स्टेशन की लंबाई

32 मीटर रहेगी इस स्टेशन की चौड़ाई

ऊपर से नीचे की तरफ चल रहा निर्माण

भूमिगत स्टेशन का निर्माण टाप- डाउन प्रणाली से किया जा रहा है। इसमें निर्माण ऊपर से नीचे की तरफ किया जाता है। स्टेशन की ऊपरी छत बनने के बाद खोदाई करके मिट्टी निकाली जाती है। मिट्टी निकालने के बाद स्टेशन का प्रथम तल का फ्लोर बनाया जाता है। ये फ्लोर भूमिगत स्टेशन का कोंकोर्स बन जाता है। कोंकोर्स यानी जिसमें यात्र करने वाले टिकट लेते हैं। सुरक्षा जांच से गुजरते हैं। एटीएम व शौचालय की सुविधा उठाते हैं। इसी प्रकार प्रथम तल के निर्माण के बाद और गहरी खोदाई की जाती है फिर एक और तल का निर्माण किया जाता है। ये तल स्टेशन का प्लेटफार्म लेवल होता है, जिसका इस्तेमाल ट्रेन से उतरने और चढ़ने के लिए होता है।

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