लापरवाही की हद : सहारनपुर में सैंपल जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव मरीज ई-रिक्‍शा से कर रहे सफर, नहीं कोई रोक-टोक

Coronavirus in Saharanpur सेंटर पर जांच के बाद यदि पॉजिटिव मरीज होम आइसोलेट होना चाहते हैं तो उन्हें घर भेज दिया जाता है। ऐसे मरीज सवारियों से भरी ई-रिक्शा में बैठकर घर जा रहे है

By Prem BhattEdited By: Publish:Mon, 07 Sep 2020 08:16 PM (IST) Updated:Mon, 07 Sep 2020 08:16 PM (IST)
लापरवाही की हद : सहारनपुर में सैंपल जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव मरीज ई-रिक्‍शा से कर रहे सफर, नहीं कोई रोक-टोक
लापरवाही की हद : सहारनपुर में सैंपल जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव मरीज ई-रिक्‍शा से कर रहे सफर, नहीं कोई रोक-टोक

सहारनपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे की जिम्मेदारी जिन पर है, वह स्वयं ही मर्ज को नासूर बनाने पर तुले हैं। सेंटर पर जांच के बाद यदि पॉजिटिव मरीज होम आइसोलेट होना चाहते हैं, तो उन्हें घर भेज दिया जाता है। ऐसे मरीज सवारियों से भरी ई-रिक्शा में बैठकर घर जा रहे हैं। रोजाना ऐसे मामले देखे जा रहे हैं। इससे ई-रिक्शा में बैठी अन्य सवारियों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है।

चंद्र नगर निवासी अंकित शर्मा के अनुसार पांच दिन पहले वह कोरोना जांच के लिए सेंटर पर पहुंचे। रिपोर्ट निगेटिव आई तो वह घर के लिए निकलने लगे। सेंटर से बाहर देखा कि उनके साथ ही दो मरीज जो पॉजिटिव आए थे, दोनों ने ई-रिक्शा को हाथ दिया। इसके बाद बेहट अड्डे की ओर अन्य लोगों के साथ बैठकर चले गए। अंदर मौजूद कर्मचारी को बताया तो वह बोले कोई नहीं, शाम को मरीज के घर जब टीम जाएगी तो समझा देगी। अंकित ने बताया कि उनका भाई आशीष पहले ही पॉजिटिव आ चुका था। उन्हें रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट पर कुछ शक हुआ तो दो दिन बाद आरटीपीसीआर टेस्ट कराया। इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसी वजह से पिता, चचेरी बहन व भाई भी संक्रमित हो गए, क्योंकि पहली रिपोर्ट निगेटिव होने की वजह से बेफिक्र हो गए थे।

800 से ज्यादा मरीज होम आइसोलेट लेकिन नोटिस कुछ के गेट पर

जिले में 800 से ज्यादा संक्रमित मरीज होम आइसोलेट हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है, कि सभी मरीजों के घरों के बाहर नोटिस चस्पा है लेकिन महज 30-40 प्रतिशत आइसोलेट मरीजों के घर के बाहर ही कोरोना मरीज का नोटिस चस्पा है।

होम आइसोलेशन का यह है नियम

होम आइसोलेट उन्हीं मरीजों को किया जा सकता है, जिनकी रिपोर्ट तो पॉजिटिव हो लेकिन लक्षण कोई नहीं हो। मरीज की उम्र 10 साल से ज्यादा व 60 साल से कम हो। महिला गर्भवती न हो। घर में अलग कमरा व अलग शौचालय की व्यवस्था हो। होम आइसोलेट मरीज के घर पहले दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम जाएगी और सभी सावधानियां बताएगी। जरूरी दवाएं, थर्मामीटर व ऑक्सीमीटर इत्यादि मरीज के घर में होना जरूरी है।

सीएमओ डा. बीएस सोढ़ी का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीज यदि सेंटर से इस तरह से ई-रिक्शा पर सवार होकर जा रहा है तो यह बड़ी लापरवाही है। इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है, क्योंकि होम आइसोलेट होने वाले मरीजों के लिए एंबुलेंस की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे मरीज अपनी जिम्मेदारी पर ही घर में रहते हैं।  

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