कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष बीना वाधवा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विपिन सोढ़ी को मिल सकती है कमान Meerut News
मेरठ कैंट बोर्ड में चार साल से उपाध्यक्ष रहीं बीना वाधवा के खिलाफ सात सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव रख दिया है। इस प्रस्ताव को बोर्ड अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है।
मेरठ, जेएनएन। छावनी की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। चार साल से उपाध्यक्ष रहीं बीना वाधवा के खिलाफ सात सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव रख दिया है। अब गुरुवार को विशेष बोर्ड बैठक में वार्ड आठ के सदस्य विपिन सोढ़ी उपाध्यक्ष चुने जा सकते हैं।
बोर्ड अध्यक्ष ने प्रस्ताव किया स्वीकार
बुधवार को अचानक सभी सात सदस्य रिनी जैन, बुशरा कमाल, नीरज राठौर, धमेंद्र सोनकर, मंजू गोयल, अनिल जैन, विपिन सोढ़ी सब एरिया में जाकर डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर अनमोल सूद से मिले। उनके साथ भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल भी रहे। सदस्यों ने लिखित में उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा। जिसे बोर्ड अध्यक्ष ने स्वीकार लिया। सभी सदस्यों ने बीना वाधवा को उपाध्यक्ष के पद से हटाकर विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष बनाने की मांग की है।
विशेष बैठक आज बुलाई
सीईओ प्रसाद ने गुरुवार को स्पेशल बोर्ड मीटिंग बुलाई है। शाम चार बजे बैठक होगी। सभी सदस्यों को मीटिंग का एजेंडा भी भेज दिया गया है। जिसमें छावनी अधिनियम 2006 के तहत उपाध्यक्ष के तौर पर विपिन सोढ़ी को चुना जा सकता है। बोर्ड बैठक के एजेंडे में उपाध्यक्ष बीना वाधवा को हटाने और नए उपाध्यक्ष के चयन का उल्लेख किया गया है।
चार साल से थीं उपाध्यक्ष
कैंट बोर्ड का गठन 20 जुलाई 2015 को हुआ था। कुछ सदस्यों की माने तो उपाध्यक्ष के चुनाव के समय तय हुआ था कि बीना वाधवा तीन साल उपाध्यक्ष रहेंगी। एक साल मंजू गोयल रहेंगी। शेष एक साल में तीन - तीन महीने के लिए अन्य सदस्य उपाध्यक्ष रहेंगे। बोर्ड के भंग होने में एक साल शेष है।
एक बार और आया था अविश्वास प्रस्ताव
कैंट बोर्ड में वर्ष 1997 में उपाध्यक्ष नरेंद्र जायसवाल के समय अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था। जिसमें दो साल के दिनेश गोयल उपाध्यक्ष बने थे।
बोर्ड का राजनीतिक गणित
आठ सदस्यों में बीना वाधवा को बसपा से जुड़ा माना जाता है। उनके पति सुनील वाधवा बसपा के टिकट पर कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान में कैंट बोर्ड छह सदस्य भाजपा से या भाजपा समर्थित हैं। एक सदस्य निर्दलीय है। मंजू गोयल के भाजपा में आने के बाद बोर्ड में भाजपा के सदस्य बहुमत में हैं। जिसके बाद पूरा गणित बदल गया।
कभी नहीं रहा बोर्ड में एका
छावनी परिषद में आठ वार्ड के सदस्यों में कभी भी एकमत नहीं रहा है। चार साल पहले बोर्ड का गठन हुआ था। बोर्ड बैठक में कई मुद्दों पर सदस्यों में एकमत नहीं रहा। कभी उपाध्यक्ष बीना वाधवा के साथ कुछ सदस्यों का जुड़ाव रहा तो कभी कुछ सदस्य एक साथ रहे। अभी कुछ दिन पहले बोर्ड बैठक में बीना वाधवा और विपिन सोढ़ी आमने सामने हुए थे। इससे पहले अनिल जैन और मंजू गोयल में भी सीधी बहस हो चुकी है। मंजू गोयल के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही सारे समीकरण बदले।
इनका कहना है
जनहित में मैंने हमेशा काम किया है, मोबाइल टॉवर , सीवर लाइन जैसे महत्वपूर्ण काम हुए। चार साल तक जनता के कार्यो के लिए संघर्ष किया। आगे भी करती रहूंगी। फिर पद रहे या न रहे।
- बीना वाधवा, उपाध्यक्ष
बोर्ड में भाजपा के सदस्य अधिक है। पूरे देश में बदलाव की बयार है। सभी के आपसी सहमति से नया उपाध्यक्ष चुना जाएगा। गुरुवार को सभी के साथ बैठक होगी।
- मुकेश सिंघल अध्यक्ष, महानगर
बोर्ड अध्यक्ष ने प्रस्ताव किया स्वीकार
बुधवार को अचानक सभी सात सदस्य रिनी जैन, बुशरा कमाल, नीरज राठौर, धमेंद्र सोनकर, मंजू गोयल, अनिल जैन, विपिन सोढ़ी सब एरिया में जाकर डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर अनमोल सूद से मिले। उनके साथ भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल भी रहे। सदस्यों ने लिखित में उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा। जिसे बोर्ड अध्यक्ष ने स्वीकार लिया। सभी सदस्यों ने बीना वाधवा को उपाध्यक्ष के पद से हटाकर विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष बनाने की मांग की है।
विशेष बैठक आज बुलाई
सीईओ प्रसाद ने गुरुवार को स्पेशल बोर्ड मीटिंग बुलाई है। शाम चार बजे बैठक होगी। सभी सदस्यों को मीटिंग का एजेंडा भी भेज दिया गया है। जिसमें छावनी अधिनियम 2006 के तहत उपाध्यक्ष के तौर पर विपिन सोढ़ी को चुना जा सकता है। बोर्ड बैठक के एजेंडे में उपाध्यक्ष बीना वाधवा को हटाने और नए उपाध्यक्ष के चयन का उल्लेख किया गया है।
चार साल से थीं उपाध्यक्ष
कैंट बोर्ड का गठन 20 जुलाई 2015 को हुआ था। कुछ सदस्यों की माने तो उपाध्यक्ष के चुनाव के समय तय हुआ था कि बीना वाधवा तीन साल उपाध्यक्ष रहेंगी। एक साल मंजू गोयल रहेंगी। शेष एक साल में तीन - तीन महीने के लिए अन्य सदस्य उपाध्यक्ष रहेंगे। बोर्ड के भंग होने में एक साल शेष है।
एक बार और आया था अविश्वास प्रस्ताव
कैंट बोर्ड में वर्ष 1997 में उपाध्यक्ष नरेंद्र जायसवाल के समय अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था। जिसमें दो साल के दिनेश गोयल उपाध्यक्ष बने थे।
बोर्ड का राजनीतिक गणित
आठ सदस्यों में बीना वाधवा को बसपा से जुड़ा माना जाता है। उनके पति सुनील वाधवा बसपा के टिकट पर कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान में कैंट बोर्ड छह सदस्य भाजपा से या भाजपा समर्थित हैं। एक सदस्य निर्दलीय है। मंजू गोयल के भाजपा में आने के बाद बोर्ड में भाजपा के सदस्य बहुमत में हैं। जिसके बाद पूरा गणित बदल गया।
कभी नहीं रहा बोर्ड में एका
छावनी परिषद में आठ वार्ड के सदस्यों में कभी भी एकमत नहीं रहा है। चार साल पहले बोर्ड का गठन हुआ था। बोर्ड बैठक में कई मुद्दों पर सदस्यों में एकमत नहीं रहा। कभी उपाध्यक्ष बीना वाधवा के साथ कुछ सदस्यों का जुड़ाव रहा तो कभी कुछ सदस्य एक साथ रहे। अभी कुछ दिन पहले बोर्ड बैठक में बीना वाधवा और विपिन सोढ़ी आमने सामने हुए थे। इससे पहले अनिल जैन और मंजू गोयल में भी सीधी बहस हो चुकी है। मंजू गोयल के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही सारे समीकरण बदले।
इनका कहना है
जनहित में मैंने हमेशा काम किया है, मोबाइल टॉवर , सीवर लाइन जैसे महत्वपूर्ण काम हुए। चार साल तक जनता के कार्यो के लिए संघर्ष किया। आगे भी करती रहूंगी। फिर पद रहे या न रहे।
- बीना वाधवा, उपाध्यक्ष
बोर्ड में भाजपा के सदस्य अधिक है। पूरे देश में बदलाव की बयार है। सभी के आपसी सहमति से नया उपाध्यक्ष चुना जाएगा। गुरुवार को सभी के साथ बैठक होगी।
- मुकेश सिंघल अध्यक्ष, महानगर