Sikar Car Accident: कार हादसे में मेरठ के सात लोग जिंदा जले, जिस फ्लाई ओवर पर हुआ हादसा, चश्मदीद ने बताई उसकी खाैफनाक कहानी

Sikar Road Accident News In Hindi ट्रक की प्लास्टिक व दाना कार के ऊपर गिरने से तेजी से भड़की आग कोयला बन गए सभी सातों लोग हार्दिक चला रहा था कार। कार लाक होने तेजी से आग के विकराल रूप धारण करने किसी को कार से नहीं निकाला जा सका। मात्र आधा घंटे में ही कार व ट्रक आग का गोला बनकर धधक रहा था।

By Lokesh Sharma Edited By: Abhishek Saxena Publish:Mon, 15 Apr 2024 09:29 PM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2024 09:29 PM (IST)
Sikar Car Accident: कार हादसे में मेरठ के सात लोग जिंदा जले, जिस फ्लाई ओवर पर हुआ हादसा, चश्मदीद ने बताई उसकी खाैफनाक कहानी
सीकर में कार हादसे में खत्म हुआ मेरठ का परिवार।

HighLights

  • खराब ट्रक में भरा था प्लास्टिक का धागा व दाना
  • ओवरटेक करते सामने से दूसरा वाहन आने पर खड़े ट्रक में घुसी थी कार

जागरण संवाददाता, मेरठ। राजस्थान के सीकर जिले के चूरू-सालासर राज्य राजमार्ग पर रविवार को हार्दिक बिंदल परिवार के साथ हुए हादसा फ्लाईओवर पर खराब खड़े ट्रक से हुआ। रविवार देर रात थाना फतेहपुर पहुंचे सुनील अग्रवाल, आशुतोष के चाचा को लेकर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची।

पूर्व विधायक के बेटे सुनील बताते हैं, 15 घंटे बाद भी घटनास्थल का मंजर देखकर दिल दहल रहा था। चुरू-सालासर राज्यमार्ग के फ्लाईओवर पर जले ट्रक व कार के अवशेष पड़े हुए थे। पुलिस व आसपास के लोगों से हादसे के बारे में जानकारी की तो पता चला, फ्लाईओवर पर ट्रक काफी समय से खराब खड़ा था। तेज रफ्तार सेंट्रो ने खराब ट्रक को ओवरटेक करने का प्रयास किया। इसी दौरान सामने से एक अन्य वाहन आने पर उससे बचने को चालक ने कार को खराब ट्रक की ओर मोड दिया और वह तेज रफ्तार से ट्रक से टकराई।

ट्रक से टकराते ही कार में आग लग गई। हादसे का कारण राज्यमार्ग पर सिंगल रोड फ्लाई ओवर बना। खराब ट्रक को ओवरटेक करने के दौरान फ्लाईओवर पर सामने से अचानक वाहन आ गया। इससे बचने लायक जगह नहीं मिलती देख ही हार्दिक ने कार ट्रक की ओर मोडी थी।

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सीकर से सातों शवों को लाए

सुनील ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से दुर्घटना की जो कहानी बताई वह दिल दहलाने वाली थी। उन्होंने बताया कि कार हार्दिक पटेल चला रहा था। आशुतोष आगे की सीट पर बैठा था तथा उसकी गोद में हार्दिक की बेटी रितिशा थी। पीछे की सीट पर स्वाति, मंजू, नीलम, सिदीक्षा बैठे थे। तेज रफ्तार से कार ट्रक से टकराने पर स्टेयरिंग टूटकर हार्दिक के पेट में घुस गया। उसकी आंत तक बाहर निकल गई थी। आशुतोष व रितिशा का भी चेहरा व आगे का हिस्सा बुरी कट-फट गया था। शरीर के कई अंग अलग हो गए थे।

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महिलाएं लगा रही थी बचाने की गुहार

माना जा रहा है कि टक्कर के बाद आग लगने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पीछे सीट पर बैठी महिलाएं दुर्घटना व आग लगने पर बचाने की गुहार करती रही। इस दौरान लोगों ने कार का दरवाजा खोलने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। उन्होंने बताया कि ट्रक में प्लास्टिक का धागा व दाना था कार में धमाके के साथ आग लगने पर ट्रक के सामान ने तत्काल आग पकड़ ली। इसी दौरान ट्रक का काफी प्लास्टिक का धागा व दाना कार के ऊपर आकर गिर गया। इससे कार और तेजी से जली। दो घंटे के प्रयास में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाया।

क्रेन से कार के दरवाजे तोड़कर निकाले गए शव

आग लगने से कार लाक हो गई थी। जब काफी प्रयास के बाद भी कार के दरवाजे नहीं खुल तो क्रेन से बांधकर खिड़की तोड़ी गई और सभी सात शवों को बाहर निकाला गया। कार में अंदर रखा सारा सामान जलकर खाक हो चुका था। सभी बुरी तरह जल चुके थे। आश्चर्यजनक रूप से कार से हार्दिक व आशुतोष का पर्स जलने से बच गया। इसमें रखे रुपये भी सुरक्षित मिले। पुलिस ने यह पर्स स्वजन को सौंप दिए।

पुलिस ने सातों शवों के लिए डीएनए नमूने

आशुतोष के चाचा राकेश ने बताया कि पोस्टमार्टम के दौरान डाक्टरों ने सभी सातों शवों के डीएनए नमूने लिए है। पुलिस ने बताया यह नमूने कानूनी औपचारिकता व जांच को ध्यान में रखकर लिए गए है।

शव देखकर एक बार फिर याद आ गया विक्टोरिया पार्क हादसा

पूर्व विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के बेटे सुनील अग्रवाल बताते है कि फतेहपुर पुलिस मेरठ से गए सभी लोगों को लेकर राजकीय धनुका उपजिला अस्पताल पहुंची। यहां सभी शव एक लाइन से रखे गए थे। शवों की हालत बेहद खराब थी। बुरी तरह जलने से वह कोयला बन गए थे। शव देखकर उन्हें एकाएक विक्टोरिया पार्क हादसे की याद आ गई। उस दौरान भी मेले में लगी आग में जले लोगों की हालत ऐसी थी।

अधिकांश शवों के शरीर पर नाम मात्र का मांस बचा था। हड्डियां चमक रही थी। मंजू की चेन जलने के बाद भी शरीर से चिपकी हुई थी। नीलम की अंगुली में दोनों सोने की अंगुठी फंसी हुई थी। दोनों मासूम बच्चे जलकर कोयले में तब्दील हो गए थे। जलने से सभी शव बुरी हालत में पहुंच गए थे। वह शव देखकर रोने लगे।

हार्दिक व आशुतोष को उन्होंने कभी इस रूप में देखने की कल्पना भी नहीं की थी। देखते ही दौड़कर गोद में चढ़ने वाले दोनों मासूम बच्चियां को कोयले में तब्दील देखकर उनकी हिचकी बंधी तो पुलिस कर्मियों ने उन्हें सांत्वना दी और बाहर ले गए।

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