पेड़ों के कटान में प्रशासन का पत्ता 'पीला'

मेरठ: पर्यावरण संगोष्ठियों में एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताने वाले अफसरों की बोलती बंद है। कलक

By Edited By: Publish:Mon, 08 Feb 2016 02:11 AM (IST) Updated:Mon, 08 Feb 2016 02:11 AM (IST)
पेड़ों के कटान में प्रशासन का पत्ता 'पीला'

मेरठ: पर्यावरण संगोष्ठियों में एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताने वाले अफसरों की बोलती बंद है। कलक्ट्रेट क्षेत्र में हरे पेड़ों के कटान को लेकर उठ रहे सवालों का उनके पास कोई जवाब नहीं है। आखिरकार, हरियाणा एवं गुजरात की तर्ज पर इन पेड़ों को जड़ समेत अन्य स्थानों पर रोपने का विकल्प क्यों नहीं आजमाया गया? तमाम संगठनों ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और मुख्यमंत्री से भी इस बाबत शिकायत की है। मेरा शहर, मेरी पहल संस्था के तमाम सदस्यों ने भी प्रशासन से नाराजगी जाहिर की है।

काट दी हरियाली की जड़

बागानों का जिला रहा मेरठ अब हरियाली की हर रेस हारता जा रहा है। हर वर्ष वृक्षारोपण की जड़ सरकारी विभाग काट देते हैं, जबकि रोपे गए 90 फीसदी पौधे नष्ट हो जाते हैं। जिला वृक्षारोपण समिति की हर वर्ष बाकायदा बैठक की जाती है, जिसकी अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी सभी विभागों का लक्ष्य तय करते हैं। हैरानी की बात है कि एमडीए जहां कभी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाता है, वहीं कलक्ट्रेट क्षेत्र में पेड़ों के कटान को लेकर जबरदस्त तत्परता दिखाई गई। वन विभाग एवं एमडीए ने मिलकर पेड़ों का ठेका देने एवं पेड़ों की कीमत तय करने में खेल कर दिया। पर्यावरणविदों की मानें तो इन पेड़ों के कटान एवं बिक्री में सरकार को तीस लाख रुपए से ज्यादा का घाटा पहुंचाया गया। प्रतिपूर्ति में वृक्षारोपण की जमीन सुनिश्चित किए बिना पेड़ों को सरेआम हलाल कर दिया। बताया जा रहा है कि तमाम आरा मशीन संचालकों की प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत है। यहां रोजाना सैकड़ों कुंतल लकड़ियां पर लकड़ियां भेज दी गई।

कटान से बच सकता था प्रशासन

मेरठ की वन्य जीव सेंचुरी से लेकर शहर तक के पेड़ों का अवैध कटान किया जाता रहा है जबकि इसके सापेक्ष हर-भरे पौधों को रोपने में भारी चूक की गई, लिहाजा जिले की हरियाली तेजी से कम हुई। मेडिकल कालेज से लेकर नालों के किनारे एवं शहर के चुनिंदा मुहल्लों के पास बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए। इनमें रखरखाव के अभाव में अस्सी फीसदी नष्ट हो गए। उधर, पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशासन पर चौतरफा हमला बोलते हुए पेड़ों पर आरी चलाने को जघन्य कृत्य करार दिया है। प्रश्न है कि हरियाणा की तर्ज पर इन वयस्क पेड़ों को जड़ समेत उखाड़कर अन्य स्थान पर रोपने का प्रयास क्यों नहीं किया गया? अगर ऐसा किया जाता तो पर्यावरण का नुकसान भी न होता, और कलेक्ट्रेट क्षेत्र में चौड़ीकरण की राह आसान हो जाती।

प्रदूषण का गुबार

पुराने एवं विशाल वृक्ष ज्यादा मात्रा में प्रदूषण को सोखते हुए आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट बताती है कि पेड़ों का घनत्व ज्यादा होने से न सिर्फ वायु शुद्ध होती है, बल्कि जल संरक्षण करने एवं ध्वनि प्रदूषण रोकने में भी सहायक होते हैं। ऊंचे पेड़ों पर तमाम पक्षियों का बसेरा होने से इकोलोजी भी सेहतमंद होती है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि कलक्ट्रेट क्षेत्र में जहां भूजल रिचार्ज बंद पड़ गया है, वहीं ध्वनि प्रदूषण की मात्रा भी मानक से ज्यादा है। अगर बेगमपुल को मानक मानें तो कलक्ट्रेट क्षेत्र में एसपीएम एवं आरएसपीएम की मात्रा हवा में मानक से करीब दो गुना ज्यादा है। बोर्ड का मानना है कि पेड़ों की कटान के बाद वायु में सस्पेंडेड पार्टिकुलेंट मैटर, धूलकण, नाइट्रस आक्साइड, सीओटू, एवं सल्फर की मात्रा बढ़ सकती है। आसपास की कालोनियों में धूलकणों के पहुंचने से एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं।

-वन विभाग के पास बड़े पेड़ों को क्रेन के माध्यम से बाहर निकालकर अन्यत्र कहीं रोपने की तकनीक नहीं।

-पेड़ों की कटान से भूजल संचय पर पड़ेगा असर। कलेक्ट्रेट क्षेत्र में भूजल रिचार्ज बंद पड़ा।

-पेड़ सोखते हैं वायु प्रदूषण। अब कटान के बाद धूलकणों से बढ़ रहल एलर्जी की बीमारी।

-वन विभाग ने 327 पेड़ों की लगाई महज 3.80 लाख की कीमत।

-तमाम संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ केन्द्रीय मंत्रालय, मुख्यमंत्री एवं शासन से लगाई गुहार।

-मंडलायुक्त की मेरा शहर मेरी पहल के लोग भी नाराज।

कुछ ऐसी है भरपाई की योजना

-दोनों चरण मिलाकर कुल 493 पेड़ कटेंगे। इसकी प्रतिपूर्ति में वन विभाग इतना ही पेड़ रोपेगा।

-एमडीए ने वन विभाग को पौधरोपण के लिए 12 लाख रुपए दिया है।

-327 पौधों को ब्रिग गार्ड के साथ रोपा जाएगा। सड़क के किनारे बनेगी ग्रीन पट्टी।

-वन विभाग अब तक मेडिकल कालेज, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, पीएमसी रुड़की रोड पर पौधरोपण कर चुका है, हालांकि आधे से ज्यादा सूख गए।

-डीएम निवास में चारदीवारी के साथ-साथ दो सौ पेड़ लगाए जा चुके हैं।

-विभाग पिलखन, नीम, जामुन, जरूल, अमलताश, बड़ा अशोक, मोंसरी, पुतरनजीवा, एवं सागौन लगाए जाएंगे।

इनका कहना है..

पेड़ों की कटान बेहतर भविष्य के लिए की गई। वन विभाग 493 पेड़ कलक्ट्रेट के आसपास ही लगाएगा। डीएम निवास के अंदर करीब दो सौ पेड़ रोपे भी जा चुके हैं। पर्यावरण से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

संजीव कुमार, उप प्रभागीय निदेशक, वन विभाग

पेड़ों का कटान अत्यंत दुखद है। मैंने मंडलायुक्त, डीएम समेत अन्य अधिकारियों से भी इसे बचाने की अपील करते हुए तमाम विकल्प भी सुझाया था। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायती पत्र भेजा गया है।

रमन त्यागी, नीर फाउंडेशन।

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