मऊ में सरयू खतरा बिंदु के पार होने से तटवर्ती इलाकों में दहशत, जिला प्रशासन की ओर से सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट जारी

नेपाल राष्ट्र के गिरिजा शारदा व सरयू बैराज से एक बार फिर सरयू में छह लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया है। सरयू में तेजी से उफान आने के बाद जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया। जलस्तर बुधवार को 15 सेंटीमीटर ऊपर चला गया।

By Suryakant TripathiEdited By: Publish:Wed, 28 Sep 2022 06:25 PM (IST) Updated:Wed, 28 Sep 2022 06:27 PM (IST)
मऊ में सरयू खतरा बिंदु के पार होने से तटवर्ती इलाकों में दहशत, जिला प्रशासन की ओर से सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट जारी
मऊ में सरयू खतरा बिंदु के पार होने से तटवर्ती इलाकों में दहशत

जागरण संवाददाता, दोहरीघाट (मऊ) : नेपाल राष्ट्र के गिरिजा, शारदा व सरयू बैराज से एक बार फिर सरयू में छह लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया है। सरयू में तेजी से उफान आने के बाद जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया। जलस्तर बुधवार को 15 सेंटीमीटर ऊपर चला गया। जलस्तर बढ़ने की रफ्तार देख जिला प्रशासन की ओर से सभी बाढ़ चौकियों को अलर्ट जारी कर दिया गया है।

नदी का रुख देख तटवर्ती ग्रामीणों में खलबली मची है। जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। मंगलवार की शाम चार बजे नदी का जलस्तर 69.60 था, जो बुधवार की शाम चार बजे 45 सेंटीमीटर बढ़कर 70.05 हो गया। नदी का खतरा बिंदु 69.90 मीटर पर है।

जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण पानी का दबाव बंधों पर बढ़ गया है। खतरा भांपते हुए सिंचाई व बाढ़ विभाग के अधिकारियों ने मजदूरों के साथ जगह-जगह बाढ़ चौकियों एवं बंधे पर डेरा डाल दिया है। बंधे के हर सेक्टर में 24 घंटे नजर रखी जा रही है। बंधों के नीचे की सभी फसलें पहले ही डूबकर बर्बाद हो चुकी हैं। जलस्तर बढ़ने का सिलसिला दो दिनों में नहीं थमा तो बाढ़ का पानी बस्तियों और घरों में घुसने लगेगा।

नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा का जलस्तर अभी और बढ़ने की संभावना है

तटवर्ती गांवों को किया गया अलर्ट सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पासवान ने बताया कि नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा का जलस्तर अभी और बढ़ने की संभावना है। इसे लेकर तटवर्ती गांवों के लोगों को अलर्ट जारी कर दिया गया है।

नदी का जलस्तर घटने के बाद दो दिन पहले ही रेग्यूलेटर उठाए गए थे लेकिन इसे फिर बंद कर दिया गया है। चिऊटीडांड, सरहरा, बीबीपुर, गौरीडीह, कोरौली, उसरा, ठाकुरगांव, पतनई, ताहिरपुर आदि दर्जनों गांवों की बची-खुची फसल भी फिर से एक बार डूब गई हैं।

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