Mukhtar Ansari: 1995 में जेल से छूटने के बाद मुख्तार ने मऊ में जमाया था कब्जा, 2005 दंगे से की थी रक्तरंजित शुरूआत

Mukhtar Ansari माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। वर्ष 1995 में जेल से छूटने के बाद गाजीपुर जनपद के युसुफपुर मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी ने मऊ में अपना अड्डा जमा लिया था। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही मऊ में बड़ी रैली निकाल ताकत का एहसास करा मुख्तार 1996 में विधायक बन गया था।

By Jagran NewsEdited By: Swati Singh Publish:Thu, 28 Mar 2024 10:59 PM (IST) Updated:Thu, 28 Mar 2024 10:59 PM (IST)
Mukhtar Ansari: 1995 में जेल से छूटने के बाद मुख्तार ने मऊ में जमाया था कब्जा, 2005 दंगे से की थी रक्तरंजित शुरूआत
1995 में जेल से छूटने के बाद मुख्तार ने मऊ में जमाया था कब्जा

जागरण संवाददाता, मऊ। Mukhtar Ansari Case... माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है। मुख्तार अंसारी बांदा मेडिकल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। 9 डॉक्टरों की टीम निगरानी कर रही थी। मुख्तार वो नाम है जिससे उत्तर प्रदेश में सभी वाकिफ हैं। उसे पूर्वांचल के सबसे बड़े बाहुबली नेता के रुप में जाना जाता है।

वर्ष 1995 में जेल से छूटने के बाद गाजीपुर जनपद के युसुफपुर मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी ने मऊ में अपना अड्डा जमा लिया था। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही मऊ में बड़ी रैली निकाल ताकत का एहसास करा मुख्तार 1996 में विधायक बन गया था। फिर 2002 में फिर विधायक चुने जाने के तीन वर्ष बाद यानी मुख्तार ने 2005 में मऊ दंगे से रक्तरंजित शुरुआत की थी।

जेल से आपराधिक तंत्र को चलाता रहा मुख्तार

2005 में मऊ दंगे में एक माह तक शहर जलता रहा। इतिहास में पहली बार रेलवे संचालन बंद रहा। इसके बाद भी वह जहां लगातार वह विधायक चुना जाता रहा तो दंगे के आरोप में जेल में निरुद्ध होने के बाद भी आपराधिक तंत्र को चलाता गया और हर क्षेत्र में उसकी तूती बोलती थी।

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दिनदहाड़े हुई थी हत्याएं

ठेकों में कमीशन को लेकर 29 अगस्त 2009 को जनपद के बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना की मुख्तार के शूटरों ने गाजीपुर तिराहे पर दिनदहाड़े हत्या कर दी। रक्तरंजित सिलसिला यही नहीं रूका। इस हत्याकांड के गवाह रामसिंह मौर्या व उनके सुरक्षा में तैनात सिपाही सतीश कुमार की 19 मार्च 2010 को दक्षिणटोला थाना क्षेत्र में स्थित एआरटीओ ऑफिस के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। मन्ना हत्याकांड में मुख्तार गवाही के अभाव में बरी हो गया था। इस मामले उसकी एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। अभी 27 मार्च को भी इसी मामले में उसकी पेशी थी।

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