काले फूल न पाया पानी, धान मारा अध बीच जवानी

सितंबर महीने का तीसरा सप्ताह उत्तरा‌र्द्ध की ओर बढ़ चला है। इधर एक पखवारे से एक बूंद भी वर्षा नहीं हुई है। इससे धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है। धान में रेंड़ा व काला फूल आने को है। ऐसी हालत में धान की फसलों में पानी की आवश्यकता है। घाघ की कहावत 'काले फूल न पाया पानी, धान मरा अधबीच जवानी' को चरितार्थ होता देख किसान का कलेजा दहल जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 06:39 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 06:39 PM (IST)
काले फूल न पाया पानी, धान मारा अध बीच जवानी
काले फूल न पाया पानी, धान मारा अध बीच जवानी

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) : सितंबर महीने का तीसरा सप्ताह उत्तरा‌र्द्ध की ओर बढ़ चला है। इधर एक पखवारे से एक बूंद भी वर्षा नहीं हुई है। इससे धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है। धान में रेंड़ा व काला फूल आने को है। ऐसी हालत में धान की फसलों में पानी की आवश्यकता है। घाघ की कहावत 'काले फूल न पाया पानी, धान मरा अधबीच जवानी' को चरितार्थ होता देख किसान का कलेजा दहल जा रहा है।

वैसे भी पहले से वर्षा कम होने से ताल-तलैया पोखरी पोखरों से पानी गायब है। नहीं तो किसान, आवश्यकता पड़ने पर वहां से पानी ले लिया करते थे। इधर बिजली विभाग की मेहरबानी से भी किसान हैरान हैं। बिजली कब आएगी, कब चली जाएगी, किसानों को पता नहीं। किसान अपने धान के खेतों में पानी चलाने के लिए अपने नलकूप पर दिन रात बैठा बिजली के आने का इंतजार कर रहा है। बिजली आ भी जा रही है तो इसमें लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है। इस प्रकार वर्षा कम होने एवं गत एक पखवारा से एकदम वर्षा न होने से रेंड़ा ले चुके धान की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। किसानों में व्याकुलता और निराशा बढ़ती जा रही है। अपनी गाढ़ी कमाई वर्षा ऋतु के आखिरी महीने में मौसम की दगाबाजी से बर्बाद होता देख उन्हें काफी कष्ट दे रहा है। ऐसी हालत में किसानों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। डीजल की बढ़ती कीमतों ने उन्हें और भी परेशान करके रख दिया है।

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