चंचल मन पर नियंत्रण से ही साधना संभव

जागरण संवाददाता ,दोहरीघाट (मऊ) : अहम की मोटी दीवार होने के कारण शक्ति को पहचानना मुश्किल होता है। सब

By Edited By: Publish:Mon, 20 Feb 2017 08:51 PM (IST) Updated:Mon, 20 Feb 2017 08:51 PM (IST)
चंचल मन पर नियंत्रण से ही साधना संभव
चंचल मन पर नियंत्रण से ही साधना संभव

जागरण संवाददाता ,दोहरीघाट (मऊ) : अहम की मोटी दीवार होने के कारण शक्ति को पहचानना मुश्किल होता है। सबके भीतर शक्ति स्वरूपा मां विद्यमान हैं। शक्ति की आराधना से असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। मां वैष्णो देवी जब नन्हीं वैष्णो थीं तो भैरव की अनुचित मांग को ठुकरा दिया था। अबोध कन्या ने त्रिकुटा पर्वत पर गर्भ में छिपकर मां आदि शक्ति की तपस्या की। इससे वह सर्वशक्तिमान हो गईं और भैरव का मुकाबला किया। भैरव का सिर व धड़ अलग कर दिया लेकिन भैरव के अनुनय विनय पर मां ने उनको क्षमा कर वरदान दिया। जो मनुष्य मां की शरणागत होता है मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं। उक्त बातें मातेश्वरी महाधाम के पीठाधीश्वर सद्गुरु महाराज ने कही। वे धाम पर चल रहे मां वैष्णो देवी महायज्ञ में आए हजारों भक्तों को भक्ति के मार्ग को बता रहे थे। इधर हजारों श्रद्धालुगण मनवांछित फल के लिए श्रद्धा व विश्वास के साथ वहां निर्मित मां वैष्णो देवी की गुफा की प्रतिकृति के सामने माथा टेकते रहे। सद्गुरु ने कहा कि मां में शक्ति अपार है। जो लोग श्रद्वा के साथ धूप दीप नेवैद्य से मां की पूजन आरती करते हैं। मां उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। इस अवसर पर किस्मती देवी, विभीषण, नंदलाल, रामभवन, मुन्ना यादव, सुदर्शन, पंकज, शांति, शशिकला, खुशबू, गीता, रमाकांत, नित्यानंद तिवारी, रामजीत आदि ने सद्गुरु महिमा का वर्णन करते हुऐ कहा कि असाध्य रोगों से गुरु कृपा से मुक्ति मिली है।

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