यमुना के पेटे में रोज भरा जा रहा टनों कूड़ा
शहर के छोटे-बड़े दो दर्जन नालों में अधिकांश सीधे यमुना में गिर रहे
योगेश जादौन, मथुरा: कमाल है कि चार साल से यमुना में हरियाली के नाम पर चल रहे गोरखधंधे पर किसी की नजर नहीं पड़ी। यह सफाई किसी के गले नहीं उतर रही। शहर के नाले से रोज निकलने वाले कूड़े को ही यमुना में खोदाई कर दबाया जा रहा है। इसी पर पाथवे बन रहा है। शहर में रोज करीब 200 टन कचरा और 45 से 50 किलो तक पॉलीथिन निकलती है।
शहर का कचरा यमुना के पेट में भरा जा रहा है। नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर में छोटे-बड़े करीब 25 नाले हैं। इनमें से अधिकांश यमुना में आज भी सीधे गिर रहे हैं। जिस कचरे को यमुना की रेती में दबाया जा रहा है वह शहर से निकलने वाला अपशिष्ट ही है। शहर से निकलने वाली पॉलीथिन को भी इस कचरे के साथ ही यमुना में दफन किया जा रहा है। कंस टीला के आसपास और स्वामीघाट के पास भी यमुना में सीधे नाले गिर रहे हैं। कुछ नालियों में जाली जरूर लगी हैं लेकिन कचरा अड़ जाने पर इसे भी यमुना में ही समाहित कर दिया जाता है। स्वामीघाट पर तो एसटीपी से कुछ मीटर की ही दूरी पर नाला सीधा यमुना में गिर रहा है। -सांसद के कार्यक्रम को विनाशकारी बताने वाले कैसे बैठे रहे चुप--
यमुना के पूर्वी तट यानी विश्रामघाट के ठीक सामने यमुना पार ब्रज रसोत्सव करना चाह रहीं सांसद हेमामालिनी की कोशिशों के खिलाफ एक पूरा समुदाय उठ खड़ा हुआ था। उनके दो दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम को यमुना के लिए विनाशकारी बताया गया। आनन-फानन में एनजीटी में याचिका डाल दी गई। विरोध के नारे लगाए गए। हालत ऐसे किए गए कि हेमामालिनी ने अपना यह सपना त्याग दिया। इसकी टीस वह आज भी गाहेबगाहे व्यक्त करती हैं।
- ''दैनिक जागरण पढ़कर संज्ञान में आया। जल्द ही यहां का निरीक्षण करूंगा। मथुरा के विकास में बहुत सारी प्राइवेट एजेंसियां लगी हुई हैं। यह निगम को न तो प्लान बताती हैं न अनुमति लेती हैं। यमुना की तलहटी में पाथवे का निर्माण किसकी अनुमति से हो रहा है, देखा जाएगा। पाथवे में इस्तेमाल मलबा कैसा है और किसका है, यह भी निरीक्षण के बाद ही पता चल सकेगा।''
- समीर वर्मा, नगर आयुक्त