ज्ञानवापी मस्जिद की तरह हो शाही मस्जिद ईदगाह की खोदाई

अधिवक्ता महेंद्र ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर रखी मांग शोकसभा होने की वजह से वाद में नहीं हो सकी सुनवाई

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 05:10 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 05:10 AM (IST)
ज्ञानवापी मस्जिद की तरह हो शाही मस्जिद ईदगाह की खोदाई
ज्ञानवापी मस्जिद की तरह हो शाही मस्जिद ईदगाह की खोदाई

जागरण संवाददाता,मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में सोमवार को अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की तरह शाही मस्जिद ईदगाह व आगरा किला की छोटी मस्जिद की खोदाई कराने की मांग की है। उन्होंने सिविल जज सीनियर डिवीजन के कोर्ट में ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रति भी प्रस्तुत की है।

अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। उन्होंने वाद में कहा है कि केशव देव मंदिर तोड़कर उसके ऊपर शाही मस्जिद ईदगाह बना दी गई। मंदिर से निकलीं मूर्तियां और विग्रह आगरा किला स्थित छोटी मस्जिद की सीढि़यों में दबवा दी गई हैं। इस मामले की सोमवार को सुनवाई थी, शोकसभा की वजह से वाद पर सुनवाई तो नहीं हो सकी, लेकिन वादी अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र व निर्णय की प्रति कोर्ट को सौंपी। उन्होंने जल्द पुरातत्व सर्वेक्षण और खोदाई कराने का आदेश जारी करने की मांग की है। ताकि मस्जिद से तथ्य न मिटाए जा सकें। कोर्ट ने सुनवाई के लिए चार मई की तारीख तय की है। यूएपीए पर नहीं हुई सुनवाई

मथुरा: एडीजे प्रथम अनिल कुमार पांडेय की अदालत में सोमवार को पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और कैंपस फ्रंट आफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ की गई यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) के तहत कार्रवाई के मामले सुनवाई नहीं हो सकी। एक अधिवक्ता का निधन होने के कारण अधिवक्ताओं ने शोक व्यक्त न्यायिक कार्य नहीं किया।

एसटीएफ ने पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) के अंसद बदरुद्दीन, फिरोजखान, केए राऊफ, सिद्दीकी कप्पन, मोहम्मद आलम, अतीकुर्रहमान और मसूद अहमद के खिलाफ तीन अप्रैल को आरोप पत्र दाखिल किया। आरोपितों के खिलाफ यूएपीए के तहत भी कार्रवाई की गई थी। आरोपित के अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने इसको लेकर एडीजे प्रथम की कोर्ट में यूएपीए की कार्रवाई को चुनौती दी थी। इस पर आज सुनवाई होनी थी। मगर, एक अधिवक्ता के निधन होने के कारण बार एसोसिएशन ने शोक व्यक्त किया और इसके बाद अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य नहीं किया।

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