यूं ही नहीं कहते थे किसानों का मसीहा

जागरण संवाददाता, मथुरा: किसान क्रांति के जनक व देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण¨सह सादगी और भो

By Edited By: Publish:Thu, 28 May 2015 07:22 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2015 07:22 PM (IST)
यूं ही नहीं कहते थे किसानों का मसीहा

जागरण संवाददाता, मथुरा: किसान क्रांति के जनक व देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण¨सह सादगी और भोलेपन की प्रतिमूर्ति थे। वह एक ऐसा दर्शन थे, जिन्होंने देश को कृषि पर आधारित विकास को नई दिशा दी। दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, गरीबों व किसान-कामगारों को एक मंच पर लाकर उन्होंने नई राजनीतिक चेतना प्रदान की। देश की ग्रामीण जनता व किसान को ऐसी वाणी दी कि उनकी आवाज दिल्ली तक पहुंची और हर राजनेता व हर राजनीतिक दल किसान की भाषा बोलने लगा। उनके संपूर्ण जीवन दर्शन का मूलमंत्र था '¨हदुस्तान की समृद्धि का रास्ता गांव और खेत से होकर गुजरता है।'

चौ. चरण ¨सह के निकट सहयोगी व उनके संवैधानिक सलाहकार रहे प्रोफेसर डॉ. दुर्गपाल ¨सह सोलंकी बताते हैं कि आषाढ़ की पहली फुहारों से संसर्ग से जेठ की तपती मांटी से निकली सौंधी सुगंध चौधरी साहब की सबसे अधिक मनभावन खुशी थी। उन्हीं के बलबूते किसानों को युगों-युगों तक अपने खेतों की खड़ी फसलों में चौ. चरण ¨सह की छिपी मुस्कराहट दिखाई देती रहेगी। डॉ. सोलंकी बताते हैं कि चौधरी साहब उन महापुरुषों में से हैं, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह ¨हदुस्तान के प्रमुख तपे-तपाए लोकप्रिय राजनेता भी थे। वह अर्थशास्त्र के विद्वान, विचारक व मौलिक ¨चतक थे।

चौधरी साहब भले ही सत्ता में रहे हों या विपक्ष में देश का किसान-कामगार उनका नाम सुनकर उनकी सभाओं में ¨खचा चला आता था। उनकी खासियत यह भी थी कि जो भी वह कहते थे, उसको व्यवहार में करके भी दिखाते थे। डॉ. सोलंकी ने बताया कि भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, नीतियां व कार्यक्रम आज भी प्रासंगिक हैं।

शिक्षाविद् पीके राजौरा ने कहा कि अब देश भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, आतंकवाद और अलगाववाद से जूझ रहा है। बेरोजगारों की भीड़ है। गरीब की रोटी और तन का कपड़ा दिन-ब-दिन छोटे होते जा रहे हैं। किसान खेत व बाजार में लुट रहा है, मजदूर भूखा बैठा है और इन हालातों में पूंजीपतियों से साठ-गांठ, पुलिस-प्रशासन के नकारापन के चलते सरकार आंखों पर पट्टी बांधकर काम कर रही हैं। ऐसे वातावरण में इस भटके हुए मुल्क को राह दिखाने के लिए चौ. चरण ¨सह जैसे दीप स्तंभ की जरूरत है।

केआर डिग्री कालेज में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुधीर प्रताप सोलंकी कहते हैं कि चौ. चरण ¨सह ने पिछड़ी जातियों और किसानों को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। इतिहासकार कुंवर अरुण प्रताप ¨सह चमन बताते हैं कि चौ. साहब के प्रति सरकारों, राजनीति व सामाजिक संस्थाओं का उपेक्षापूर्ण रवैया और उदासीनता के कारण उनके जीवन व दर्शन का पूर्णरूप से मूल्यांकन नहीं हो पाया है। समाजसेवी विमलेश कुमारी कहती हैं कि वर्तमान की केंद्र व राज्य सरकारें यदि चौधरी साहब की नीतियों का अनुसरण करें तो देश की तस्वीर बदल जाएगी। प्रधानाध्यापक शिकुमार सिकरवार व कुंवर नरेंद्र ¨सह ने चौ. चरण ¨सह को भारत रत्न से विभूषित करने और उनकी पुस्तकों 'अर्थनीति व शिष्टाचार' को पाठ्यक्रमों में शमिल करने की जरूरत पर बल दिया।

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