च्यवन ऋषि आश्रम बने पर्यटन स्थल तो हो विकास

जिला मुख्यालय से ज्योंती से पड़रिया चौराहा होकर करीब 26 किमी का रास्ता तय करने के बाद आता है गांव औंछा। शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे जागरण टीम यहां पहुंची तो करहल विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के चौराहे के समीप प्रसिद्ध च्यवन ऋषि का मंदिर नजर आया। कहते हैं कि यहां के कुंड में भरे पानी से स्नान करने पर शरीर के चर्म रोग समाप्त होते हैं लेकिन गांव की समस्या के रोग अभी तक समाप्त नहीं हो सके।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 04:30 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 04:30 AM (IST)
च्यवन ऋषि आश्रम बने पर्यटन स्थल तो हो विकास
च्यवन ऋषि आश्रम बने पर्यटन स्थल तो हो विकास

श्रवण शर्मा, मैनपुरी:

जिला मुख्यालय से ज्योंती से पड़रिया चौराहा होकर करीब 26 किमी का रास्ता तय करने के बाद आता है गांव औंछा। शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे जागरण टीम यहां पहुंची तो करहल विधानसभा क्षेत्र के इस गांव के चौराहे के समीप प्रसिद्ध च्यवन ऋषि का मंदिर नजर आया। कहते हैं कि यहां के कुंड में भरे पानी से स्नान करने पर शरीर के चर्म रोग समाप्त होते हैं, लेकिन गांव की समस्या के रोग अभी तक समाप्त नहीं हो सके।

मंदिर से निकले तो कुछ ग्रामीण और दुकानदार विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा में मशगूल थे। अशोक कुमार बोले, राजनेता केवल बात करते हैं। आश्रम को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए पूर्व सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने 80 लाख रुपया देने की बात कही थी, लेकिन इस राशि का इंतजार करते आंखे पथरा गयीं। वर्तमान में भी यहां के लिए कोई काम नहीं हुआ। उनकी बात को बीच में काटते हुए सतनेश यादव बोले, अब चिता की कोई बात नहीं, भइया आ रहे हैं, विकास होगा तो मंदिर का उद्धार भी होगा।

तभी शिवरतन गुप्ता तपाक से बोल पड़े कि पहले सरकार रही तब तो 12 हजार की आबादी वाला यह गांव नगर पंचायत नहीं बनाया, एक दशक से इसकी मांग हो रही है। ज्योंती को तो कम आबादी के बाद भी नगर पंचायत बनाया गया, जबकि औंछा को बेसहारा छोड़ दिया गया। राजेंद्र सिंह का मानना था कि यदि औंछा भी नगर पंचायत बन जाती तो एटा के सकीट से इसका मुकाबला होता, विकास में औंछा आगे ही जाता। अरे छोड़िए, कुछ ऐसा कहकर रोहित श्रीवास्तव कहने लगे, गांव में स्कूल-कालेज, अस्पताल आदि हैं, लेकिन केंद्रीयकृत बैंक नहीं है। बैंक की एक शाखा नहीं होने से तमाम परेशानी होती है। नेताओं को तो वादे करने होते हैं, परेशानी तो जनता को झेलनी होती है।

धर्मेद्र राठौर की राय तो सबसे जुदा थी। उनका कहना था कि मंदिर का विकास करवाया जाए, गांव में एक केंद्रीय बैंक शाखा खुले तो विकास होगा। मंदिर को पर्यटन स्थल बनाने के लिए भी सरकार को धरातल पर वादा निभाना होगा। इसी दौरान आए अर्नव कहने लगे, अब सरकार के लिए सभी वोट कीजिए, उसी से उम्मीदें पूरी हो सकती है। वैसे, गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली पर किसका ध्यान गया, इस पर सोचना चाहिए। रात को चिकित्सक सीएचसी पर नहीं रुकते, इसके लिए किसने प्रयास किए, यह भी गौर करने लायक है। चिकित्सक रुके, इस पर शासन और सरकार को फोकस करना चाहिए।

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