दो कमरों में चल रहा आवासीय विद्यालय

मैनपुरी, कुरावली: ईंटों की चार दीवारें और उस पर टीनशैड। दो पक्के कमरे और उन पर लेंटर। इन दो कमरों

By Edited By: Publish:Tue, 26 Jul 2016 06:52 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 06:52 PM (IST)
दो कमरों में चल रहा आवासीय विद्यालय

मैनपुरी, कुरावली: ईंटों की चार दीवारें और उस पर टीनशैड। दो पक्के कमरे और उन पर लेंटर। इन दो कमरों में आवासीय विद्यालय संचालित कर दिया गया। ये हाल है जिले में चल रहे आवासीय विद्यालयों का।

बेसिक शिक्षा विभाग से किसी भी विद्यालय को आवासीय के लिए मान्यता नहीं मिली है। लेकिन गांव-गांव आवासीय विद्यालय खुल गए हैं। यहां न तो बच्चों के रहने के पर्याप्त इंतजाम हैं और न उनके खाने की व्यवस्था। जेल सरीखे कमरों में बच्चों को रहना पड़ता है।

कुरावली कस्बे में नहर पुल पर ऐसा ही एक आवासीय विद्यालय संचालित हो रहा है। जय बाल हनुमान आवासीय विद्यालय के नाम से संचालित स्कूल में व्यवस्था के नाम पर केवल दो पक्के कमरे हैं। ईंटों की दीवार बनाकर दो टीनशैड भी डलवा दी गई हैं। बस इसी में आठवीं तक की पढ़ाई होती है।

लगभग एक दशक से ये स्कूल इसी हालत में चल रहा है। इस साल यहां आवासीय विद्यालय भी शुरू कर दिया गया है। हालांकि आवासीय के रूप में अभी किसी छात्र का दाखिला नहीं हुआ है। दिन में चलने वाले स्कूल में ढाई सौ बच्चे पढ़ते हैं और उन्हें इन्हीं दो कमरों और टीनशैड के नीचे बैठाकर पढ़ाया जाता है।

स्कूल में न तो खेल का मैदान है और न ही कोई अन्य संसाधन। व्यवस्था के नाम पर सब शून्य है। खास बात ये है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी स्कूल को जिले में आवासीय स्कूल का दर्जा नहीं दिया गया है। न ही आवासीय विद्यालय के रूप में किसी की मान्यता है। लेकिन धड़ल्ले से ऐसे स्कूल खुल गए हैं। विद्यालय प्रबंधक सरनाम ¨सह से बात करने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हो सका।

चलेगा अभियान

जिले में किसी भी विद्यालय को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आवासीय विद्यालय की मान्यता नहीं दी गई है। ऐसे स्कूलों के खिलाफ जिले में अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे स्कूलों को नोटिस देकर पहले उनसे स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा, फिर उन पर सख्त कार्रवाई होगी।

भारती शाक्य, प्रभारी जिला बेसिक शिक्षाधिकारी, मैनपुरी।

क्या कहते हैं लोग

जिले में नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया है। प्राइवेट स्कूलों में कहीं भी कोई संसाधन नहीं हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही होती है। यहां अभिभावकों से पढ़ाई के नाम पर मोटी फीस वसूली जाती है।

मनोज शाक्य, व्यापारी।

शिक्षा विभाग को चाहिए कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। यहां शिक्षा के मंदिर नहीं बल्कि शिक्षा की दुकानें खोल दी गई हैं। पढ़ाई के नाम पर मोटी फीस लेने के बाद भी अप्रशिक्षित अध्यापक पढ़ाते हैं।

संजय दुबे, अधिवक्ता।

गली-गली प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं, लेकिन उनमें पढ़ाई के नाम पर कुछ नहीं होता। केवल अभिभावकों से मोटी फीस ले ली जाती है। इस पर जिम्मेदारों को कार्रवाई करनी चाहिए।

नीरज बैजल, समाजसेवी।

जब तक अभियान चलाकर कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे। गली-गली और गांव-गांव खुलने वाले ऐसे स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर केवल मजाक किया जाता है।

रियाजुद्दीन मंसूरी, व्यापारी।

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