बारिश होते ही फिर तबाही मचाएंगे जर्जर बांध
मानसूनी बारिश शुरू होने से पहले प्रशासन द्वारा बाढ़ बचाव के लिए किए गए अधूरी तैयारियों को देखकर ग्रामीण सहमे हुए हैं। उनका कहना है कि रख-रखाव के अभाव में जर्जर बांध इस साल भी लोगों को अपना घर बार छोड़ने के लिए विवश कर देंगे।
महराजगंज: मानसूनी बारिश शुरू होने से पहले प्रशासन द्वारा बाढ़ बचाव के लिए किए गए अधूरी तैयारियों को देखकर ग्रामीण सहमे हुए हैं। उनका कहना है कि रख-रखाव के अभाव में जर्जर बांध इस साल भी लोगों को अपना घर बार छोड़ने के लिए विवश कर देंगे। पहाड़ों से निकलकर नौतनवा तहसील क्षेत्र में प्रवेश करने वाले चंदन, झरही, महाव, सोनिया नाला, बघेला, रोहिन व डंडा जैसे आधे दर्जन नदी व नालों की बाढ़ से रिहायशी बस्तियों व उपजाऊ खेतों को बचाने के लिए की गई अधूरी तैयारियों की पोल इस साल झमाझम बारिश होते ही खुल जाएगी। कारण यह है कि देखने में छोटे ¨कतु खतरनाक पहाड़ी नदी नालों के जर्जर बांध व खतरनाक मोड़ को दुरुस्त करने का समय रहते कोई प्रयास नहीं किया गया। यदि सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाले महाव नाले ही बात करें तो इस साल करीब दो करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी नाला पहली ही बार में देवघट्टी गांव के सामने टूट गया। ¨सचाई व वन विभाग द्वारा बचाव के नाम पर बांध के दोनों किनारों पर केवल रेत का पहाड़ खड़ा किया जाता रहा, लेकिन महाव की हालत में कोई ठोस सुधार नहीं हो पाया। यही कारण है कि नाले के समीप बसे दर्जन भर गांवों के बा¨शदे बारिश होने पर बांध टूटने की आशंका से अभी से सहमे हुए हैं। ठीक यही हाल इसके ठीक पश्चिम से होकर बहने वाले बघेला नाले का भी है। दशकों से साफ-सफाई पर ध्यान न दिए जाने से नाला किसी संकरी नाली के रूप में तब्दील हो गया है और बाढ़ आते ही ओवरफ्लो होकर व जर्जर बांध को तोड़कर लोगों को अपना घर छोड़ने को विवश कर देता है। कुछ ऐसा ही हाल रतनपुर गांव के समीप से होकर बहने वाले रोहिन नदी का भी है।यह महदेइया गांव के पचडिहवा टोले की रिहायशी बस्तियों की तरफ खतरनाक ढंग से कटान करते हुए आगे बढ़ रहा है, लेकिन सैकड़ों की आबादी को कटान से बचाने लिए ¨सचाई विभाग ने समय रहते कोई ठोस उपाय नहीं किया। जिसका नतीजा है कि टोले पर निवास करने वाली सैकड़ों की आबादी पर बाढ़ व कटान का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
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चीख-पुकार के बाद भी प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
परसामलिक, महराजगंज: पहाड़ी नदी-नालों की तबाही से हर साल सैकड़ों एकड़ फसल तो नष्ट हो ही रही है। उपजाऊ खेत भी सिल्ट से पट जा रहे हैं। ऐसे में लोगों के सामने गृहस्थी की गाड़ी खींचना मुश्किल काफी मुश्किल साबित हो रहा है। प्रशासन की तैयारियों एवं बाढ़ की आशंका से सहमे किसानों ने'जागरण'से अपनी पीड़ा कुछ इस तरह बयां किया।
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फोटो 25 एमआरजे: 5
परिचय: अमित मिश्रा
हरपुर गांव निवासी अमित मिश्रा ने कहा कि पहाड़ी नदी व नाले के खौफनाक तांडव से ग्रामीण अभी से सहमे हुए हैं। इनसे बचाव के लिए किसान प्रशासन से साल दर साल गुहार लगाते हैं, लेकिन बचाव का कोई ठोस उपाय नहीं किया गया।
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परिचय: आदित्य यादव
सेमरहना गांव निवासी आदित्य यादव ने कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए जर्जर बांध की मरम्मत में पूरी तरह लापरवाही बरती गई। जिसका नतीजा यह है कि किसान इस साल भी तबाही झेलने को विवश होगें। सैकड़ों परिवारों को बेघर होना पड़ सकता है।
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परिचय: जगवंत वर्मा
जगवंत वर्मा ने कहा कि महाव नाला दर्जन भर गांवों के लोगों के लिए बीते कई दशक से मुसीबत का सबब बना हुआ है। यह अब तक सैकड़ों एकड़ उपजाऊ खेत को बर्बाद कर चुके हैं, लेकिन बचाव के नाम पर केवल सिल्ट सफाई का ही खेल चलता रहा।
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फोटो 25 एमआरजे 8
परिचय: शैलेंद्र त्रिपाठी
शैलेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि पहाड़ी नदी नाले हर साल किसानों के लिए एक बड़ी आफत बनकर सामने आते है, लेकिन प्रशासन बचाव के नाम पर केवल कागजी घोड़े दौड़ाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला छाड़ लेता है।पूरा बरसात किसान तबाही झेलने को विवश होते हैं।