नेपाल के प्रदूषण ने बिगाड़ा भारतीय नदियों का मिजाज

नेपाल की फैक्ट्रियों से गिरने वाले कूड़े-कचरे के चलते भारतीय नदियों का मिजाज बिगड़ रहा है। भारतीय सीमा क्षेत्र में बहने वाली अधिकांश नदियों में रहने वाले जलीय जीव भी प्रदूषण के चलते असमय काल के गाल में समा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Apr 2019 05:05 PM (IST) Updated:Fri, 12 Apr 2019 05:05 PM (IST)
नेपाल के प्रदूषण ने बिगाड़ा भारतीय नदियों का मिजाज
नेपाल के प्रदूषण ने बिगाड़ा भारतीय नदियों का मिजाज

महराजगंज: नेपाल की फैक्ट्रियों से गिरने वाले कूड़े-कचरे के चलते भारतीय नदियों का मिजाज बिगड़ रहा है। भारतीय सीमा क्षेत्र में बहने वाली अधिकांश नदियों में रहने वाले जलीय जीव भी प्रदूषण के चलते असमय काल के गाल में समा रहे हैं। पड़ोसी देश के नवलपरासी जिले में स्थित सरिया, सीमेंट , चीनी व शराब की फैक्ट्रियों का गंदा पानी सीधे इन्हीं नदियों में गिर रहा है। वहां की अधिकांश फैक्ट्रियों में जल सोधन संयंत्र न लगाए जाने से यह समस्या उत्पन्न हुई है। दूषित जल का असर नदी तटीय गांवों में भी साफ दिख रहा है।

इन गांवों में है सबसे अधिक प्रभाव:

रोहिन व झरही नदी के किनारे बसे टेढ़ी, गंगापुर, दशरथपुर, सेमरहवा, बसहवां, अमहवा, सोनराडीह, करीमदारपुर, ठूठीबारी, विशुनपुर, रामनगर, बैरागी, सड़कहवा, रामगढ़वा, भरगाहीं, लक्ष्मीपुर, डगरूपुर, नौडिहवा, खैरहवा जंगल, मल्लाह टोला, विश्वकर्मा टोला , सिहाभार आदि गांव व कस्बे नदी के प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित हैं।

नेपाल से होकर महराजगंज सीमा क्षेत्र में बहने वाली नदियां

-रोहिन

-राप्ती

-गंडक

-झरही

-चंदन

-महाव

-डंडा

सोहगीबरवा के जीवों पर भी असर:

नदियों के प्रदूषण का असर सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के जीवों पर भी साफ दिख रहा है। गत वर्ष रोहिन नदी में एक मगरमच्छ मृत मिला था। बड़ी संख्या में मछलियां भी असमय काल के गाल में समा रहीं हैं।

डगरूपुर गांव निवासी रामबचन साहनी ने कहा कि झरही नदी में प्रदूषण के चलते नदी तट के किनारे बसे गांव के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। प्रदूषण के चलते भूगर्भ जल पर भी असर पड़ रहा है। शासन-प्रशासन को इस संबंध में पड़ोसी देश से बात कर कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

दिलीप मद्धेशिया भी सीमावर्ती क्षेत्र में नदियों के प्रदूषण से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल से आने वाले कूड़े कचरे के चलते नदी में रहने वाले जीव असमय मर रहे हैं। इसके प्रभाव से नदी किनारे की कृषियोग्?य भूमि भी बंजर हो रही है। जिससे लोग विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि पूर्वजों का नदी किनारे बसना अब अभिशाप साबित हो रहा है। कभी सिचाई का बेहतर माध्यम रही झरही नदी अब इस क्षेत्र के विनाश का कारण बन रही है। न तो अब इन नदियों का पानी मवेशी पी रहे हैं और न ही खेतों की सिचाई हो पा रही है।

संजय पाठक ने कहा कि नेपाल से आने वाले फैक्ट्रियों के मलबे का असर भारतीय क्षेत्र में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए कई बार आंदोलन भी किया गया है, लेकिन अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है।

जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय ने कहा कि नदियों में फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी न गिरे यह सुनिश्चित किया जाएगा। इस समस्या के समाधान के लिए नेपाल के सीमावर्ती जिले के अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में उठाया जाएगा। सीडीओ, नवलपरासी, नेपाल देवेंद्र लामिछाने ने बताया कि फैक्ट्रियों का पानी सीधे नदी में न गिरे इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। अधिकांश फैक्ट्रियों में परिसर में ही जल सोधन संयत्र लगा पानी को पुन: उपयोग में लाया जा रहा है। यदि कुछ फैक्ट्रियों का पानी नदी में सीधे गिर रहा है तो इसकी जांच करा कर आवश्यक उठाया जाएगा।

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