दिव्यांग माधव ने दी हर मुश्किलों को मात

10 साल पूर्व गांव वापस आने पर उन्होंने अपनी शादी खुद एक दिव्यांग लड़की से की। बाएं हाथ से दिव्यांग जीवन साथी को उन्होंने हाईस्कूल तक की शिक्षा दिलाई। आज इस दंपती से चार बच्चे हैं। दिव्यांगता को मात देकर माधव सिदुरिया स्थित फर्नीचर की दुकान पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 11:08 PM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 11:08 PM (IST)
दिव्यांग माधव ने दी हर मुश्किलों को मात
दिव्यांग माधव ने दी हर मुश्किलों को मात

महराजगंज: ख्वाब टूटे हैं, मगर हौसले जिदा हैं, हम वो हैं जहां मुश्किलें शर्मिंदा हैं। यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं, जनपद महराजगंज के विकास खंड मिठौरा के सोनवाल निवासी एक कर्मठ कारीगर माधव शर्मा पर जो शरीर से दिव्यांग हैं पर काबिलियत से नहीं। एक कुशल कारपेंटर के रूप में कार्बिन कला में माहिर इस शख्स की लकड़ी पर की गई नक्काशी की सुंदरता दिव्यांगता पर भारी पड़ती है। कला ऐसी कि हर कोई हैरत में पड़ जाए। इस कलाकार को शोहरत न सही सुखद संतोष है, जो किसी स्वस्थ शख्स की शख्सियत से भी ऊंचा है।

पोलियो के चलते काम नहीं करता एक पैर

सोनवल निवासी कक्षा 10 तक पढ़े माधव पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी इस कदर आन पड़ी कि उन्होंने काम करने के जज्बे के आगे दिव्यांगता क्या हर अड़चनों पर विजय पा ली। जन्म के महज तीन साल बाद ही पोलियो के कारण माधव का दाहिना पैर काम करना बंद कर दिया। लाठी

के सहारे जिन्दगी के साथ कदमताल करते हुए उन्होंने हाईस्कूल तक की शिक्षा मधुबनी स्थित एक स्कूल से किया। जहां वह गांव से ही पांच किमी सफर कर लाठी के सहारे पैदल जाके शिक्षा ग्रहण की। परिवार में तीन भाइयों में सबसे बड़े होने के कारण घर की जिम्मेदारी माधव पर थी।

दिल्ली में सीखा लकड़ी का काम

20 डिस्मिल खेती से गुजर बसर नहीं हो पाने के कारण वह काम की

तलाश में दिल्ली चले गए। वहां से लकड़ी का काम सीखकर भविष्य संवारने की सोची। चंद ही दिनों में वह इस कला में माहिर हो गए। उनकी कमाई से घर चलाता रहा। दिल्ली स्थित एक अस्पताल में अपने पैर की सर्जरी भी करवाई। सर्जरी के बाद उसका लाठी से खड़े होना तो छूट गया , लेकिन कुछ दूर जाने के लिए ट्राई साइकिल का इस्तेमाल अब भी करना पड़ता है।

दिव्यांग लड़की से की शादी

10 साल पूर्व गांव वापस आने पर उन्होंने अपनी शादी खुद एक दिव्यांग लड़की से की। बाएं हाथ से दिव्यांग जीवन साथी को उन्होंने हाईस्कूल तक की शिक्षा दिलाई। आज इस दंपती से चार बच्चे हैं। दिव्यांगता को मात देकर माधव सिदुरिया स्थित फर्नीचर की दुकान पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।

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