जीवनदायिनी की सुरक्षा के लिए हो पहल

महराजगंज: जीवनदायिनी की सुरक्षा के लिए नई परंपरा का शुभारंभ करना समय की मांग है। प्रदूषित होकर जहर

By Edited By: Publish:Mon, 29 Sep 2014 11:28 PM (IST) Updated:Mon, 29 Sep 2014 11:28 PM (IST)
जीवनदायिनी की सुरक्षा के लिए हो पहल

महराजगंज:

जीवनदायिनी की सुरक्षा के लिए नई परंपरा का शुभारंभ करना समय की मांग है। प्रदूषित होकर जहरीली हो रही नदियों को बचाने के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को आगे आकर पहल करनी होगी, क्योंकि आज जिस स्थिति में जीवनदायिनी पहुंच चुकी है उसके हम सभी जिम्मेदार है। जीवन को बचाने के लिए नदी को प्रदूषण मुक्त रखना होगा। जीवनदायिनी संकट में रहेगी तब जीवन भी सुरक्षित नहीं रहेगा। मूर्तियों के भूमि विसर्जन का संकल्प लेकर नई परंपरा का शुभारंभ कर जीवनदायिनी को बचाए।

- दुर्गा पूजा समिति सिंचाई विभाग कालोनी के अध्यक्ष पशुपति नाथ तिवारी कहते है कि हमारे धर्मशास्त्र में नदी का सर्वोच्च स्थान है। जो नदियां कभी अपने पवित्र जल से जीवनदायिनी हुआ करती थी आज प्रदूषण के चलते जहरीली हो गयी हैं। नदियों का आज अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है। जीवनदायिनी को बचाने के लिए मूर्तियों का भू विसर्जन कर नई परंपरा का शुभारंभ एक अच्छी पहल होगी।

परिचय- राम अशीष गुप्ता

- श्री श्री दुर्गा पूजा युवजन समिति चौपरिया के संयोजक राम अशीष गुप्ता कहते हैं कि नदी में प्रदूषण फैलाने में कई कारण है। इनमें प्रतिवर्ष विसर्जित की जा रही मूर्तियां भी कारण बन रही है। प्रदूषण से बचने के लिए मूर्ति निर्माण के समय ही हर्बल कलर का प्रयोग करना चाहिए। मूर्ति निर्माण में रसायन युक्त कलर का प्रयोग पूर्णतया वर्जित कर देना चाहिए। ताकि नदियों को प्रदूषण से बचाया जा सका।

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श्री श्री दुर्गा पूजा बाल समिति पोस्ट आफिस गली के संयोजक चंदन कुमार का कहना है नदियों को प्रदूषण से मुक्ति के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। इसके लिए प्रशासन को भी पहल करनी होगी। मूर्तियों के विसर्जन के लिए प्रशासन स्तर से जमीन चिन्हित किया जाना चाहिए। इनका कहना है भू विसर्जन के संबंध में अन्य समिति के लोग जो निर्णय लेंगे उसी हिसाब से विसर्जन किया जाएगा।

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श्री श्री नव दुर्गा पूजा सिंह वाहिनी समिति कांध के अध्यक्ष अरविंद सिंह कहते है कि प्रतिवर्ष नदी में विसर्जित की जा रही मूर्ति के साथ जो रसायन, कपड़ा व बाल नदी में जा रहे हैं, वह प्रदूषण फैलाने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही नदियां उथली हो जा रही है। नदियों को बचाने के लिए भू विसर्जन एक अच्छी पहल है। मूर्ती का भू विसर्जन करने में कोई हर्ज नहीं है।

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समाज सेवी रमाकर कृष्ण त्रिपाठी का कहना है जो नदियां हमारी जीवनदायिनी है यदि वह संकट में रहेगी तो जीवन भी सुरक्षित नहीं रहेगा। जीवनदायिनी को बचाने के लिए नई पहल शुरू करनी होगी। इसके लिए धार्मिक भावना को ख्याल रखते हुए विधि विधान से भू विसर्जन किया जा सकता है। नदी के सुरक्षा के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों का सहयोग जरूरी है।

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