AIR Pollution: हवा में घुलते जहर को साफ करने का योगी सरकार ने उठाया बीड़ा, वर्ष 2030 तक का तय किया लक्ष्य

AIR Pollution वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का रोड मैप तकरीबन तैयार कर लिया गया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से हुई बैठक में प्रदूषण वायु से निपटने के लिए स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना तैयार करने पर सहमति बनीं थी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 19 Aug 2022 07:36 PM (IST) Updated:Fri, 19 Aug 2022 07:36 PM (IST)
AIR Pollution: हवा में घुलते जहर को साफ करने का योगी सरकार ने उठाया बीड़ा, वर्ष 2030 तक का तय किया लक्ष्य
AIR Pollution: प्रदूषित हवा की होगी सफाई, 2800 करोड़ खर्च करेगी योगी सरकार

AIR Pollution: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (UP Yogi government) ने वायु प्रदूषण के करण फेफड़ों में घुलती जहरीली हवा को साफ करने का बीड़ा उठाया है। लक्ष्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में वायु प्रदूषण के स्तर (Air Pollution Level) को वर्ष 2030 तक करीब 30- 35 प्रतिशत तक गिराने का है।

प्रदूषित हवा की सफाई के लिए करीब 2800 करोड़ की भारी भरकम राशि अगले सात वर्षों में खर्च की जाएगी और प्रदेश में वायु प्रदूषण (पीएम 2.5) के वर्तमान स्तर को 61-65 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से घटाकर 43 एमजी-घनमीटर तक लाया जाएगा।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का रोड मैप तकरीबन तैयार कर लिया गया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से हुई बैठक में प्रदूषण वायु से निपटने के लिए स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना तैयार करने पर सहमति बनीं थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कार्ययोजना पर अमल का निर्देश दिया था, जिस पर स्वतंत्रता दिवस के बाद सरकारी तंत्र गंभीरता से जुट गया है। स्वच्छ वायु प्रबंधन कार्ययोजना को सितंबर 2022 में लांच किया जाएगा।

डीपीआर की प्रक्रिया को अक्टूबर से दिसंबर तक पूरी होगी। जबकि जनवरी-23 में इस मद में व्यय होने वाली राशि की व्यवस्था के लिए करार किए जाएंगे। मई-23 तक विश्व बैंक की मदद से परियोजना पर विधिवत काम शुरू हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश में निरंतर प्रदूषित हो रही हवा का कारण सिर्फ प्रदेश की औद्योगिक इकाईयां और वाहन ही नहीं है। कचरा यूपी के बाहर से भी आ रहा है। प्रदेश सरकार के आकलन की मानें तो हमारे प्रदेश की हवा को प्रदूषित करने में करीब 24 प्रतिशत का योगदान पड़ोसी राज्यों और देश का है।

13 प्रतिशत प्राकृतिक प्रदत्त है तो शेष 65 प्रतिशत के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। एमएसएमई, बड़ी इंडस्ट्री, पावर प्लांट, ट्रांसपोर्ट और अन्य माध्यम से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

इन छह सेक्टर पर होगा काम : ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन, वृक्षारोपण कर ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सुधार के लिए ई-मोबिलिटी, उद्योगों में क्लीन एनर्जी की आपूर्ति, घरेलू एवं व्यवसायिक स्तर पर कुकिंग के लिए बायोमास व कोयले को जाएगा हटाया। अमोनिया व मीथेन के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्राकृतिक खेती व कंप्रेस्ड बायोगैस पर होगा जोर।

कहां कितना होगा खर्च सेक्टर : व्यय : प्रतिशत वायु प्रदूषण नियंत्रण : 1820 : 65 वायु गुणवत्ता निगरानी तंत्र का विस्तार : 644 : 23 संस्थागत क्षमता विकास : 308 : 11 अन्य मल्टी सेक्टर : 28 : 01 नोट : राशि करोड़ में है।

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