यूपी कैबिनेट : लग सकती है शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने पर मुहर

प्रदेश का कोई जवान अगर सीमा पर लड़ते हुए या आतंकियों से मुकाबला करते हुए शहीद होता है तो योगी आदित्यनाथ सरकार शहीद सैनिक के किसी एक आश्रित को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी देगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 16 Jan 2018 10:58 AM (IST) Updated:Tue, 16 Jan 2018 11:18 AM (IST)
यूपी कैबिनेट : लग सकती है शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने पर मुहर
यूपी कैबिनेट : लग सकती है शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने पर मुहर

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ आज कैबिनेट की बैठक में शहीद के आश्रितों को नौकरी देने पर मुहर लगा सकती है। कैबिनेट बैठक आज शाम को छह बजे से लोक भवन में होगी। 

उत्तर प्रदेश का कोई जवान अगर सीमा पर लड़ते हुए या आतंकियों से मुकाबला करते हुए शहीद होता है तो योगी आदित्यनाथ सरकार शहीद सैनिक के किसी एक आश्रित को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।  इसका लाभ थल, जल और वायु सेना में कार्यरत सैनिकों व अधिकारियों के साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), असम राइफल्स और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स जैसे अद्र्धसैनिक बलों के जवानों को भी मिलेगा।

उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में सेना और अद्र्धसैनिक बलों में काम करते हैं। स्वाभाविक है कि सीमा पर या आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ सेना व अद्र्धसैनिक बलों द्वारा चलायी जा रही मुहिम में प्रदेश के निवासी जवान सर्वाधिक संख्या में शहीद भी होते हैं। शहीद होने वाले युवा होते हैं। उनकी पूरी गृहस्थी कच्ची होती है। उनके परिवार के लोगों के लिए यह बेहद भावुक पल होता है। ऐसे में उनकी किसी भी मदद का संदेश दूरगामी होता है। केंद्र और राज्य सरकारें शहीदों के परिवारीजन की नियमानुसार मदद करती हैं, पर अभी तक उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रावधान नहीं है। राष्ट्रवाद की राजनीति करने वाली भाजपा अपने इस कदम से और दलों पर बढ़त बनाने का इरादा रखती है।

प्रदेश के प्रत्येक जिले के पारंपरिक और विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम विभाग की ओर से शुरू की जाने वाली 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' योजना के प्रस्ताव को भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल सकती है। 24 जनवरी को यूपी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस योजना का शुभारंभ करेंगे। 

कैबिनेट में दुग्ध उत्पादन नीति को भी अनुमोदित किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश दूध उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 18 फीसद दूध उप्र में पैदा होता है। ग्रेटर नोएडा की भवन नियमावली को भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिल सकती है। इसके तहत ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर डेवलपमेंट कार्पोरेशन के संयुक्त उपक्रम के तौर पर विकसित की जा रही इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप के लिए ग्लोबल फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) को बढ़ाकर 2.5 करने का प्रस्ताव है।

सामान्य तौर पर उद्योगों के लिए एफएआर एक से 1.25 तक होता है। कैबिनेट बैठक में नोएडा की वेंडर्स पॉलिसी पर भी मुहर लग सकती है। इस नीति के तहत नोएडा में वेंडर्स की गतिविधियों को नियंत्रित किया जाएगा। सामान्य तौर पर वेंडर्स पॉलिसी को नगरीय निकाय अपने स्तर से तय करते हैं। नोएडा में स्थानीय नगरीय निकाय न होने के कारण यह नीति शासन तय करेगा। 

मेट्रो रेल व 88 गांव के प्रस्ताव की भी संभावना

कानपुर, मेरठ व आगरा मेट्रो रेल परियोजना की संशोधित डीपीआर को भी मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जा सकता है। आवास विभाग ने इन तीनों जगहों पर मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने के लिए संशोधित डीपीआर तैयार की है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसे केंद्र सरकार की सहमति के लिए भेजा जाएगा। इसी तरह लखनऊ नगर निगम के दायरे में 88 नए गांव शामिल करने का प्रस्ताव भी कैबिनेट की बैठक में आ सकता है। मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद इन गांवों में शहरी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

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