मुंबई से लौटने के बाद भी कई बार जेल गया सोहनलाल

मुंबई के एक अस्पताल में 42 साल पहले घृणित गुनाह करने वाला वार्ड ब्वाय सोहनलाल बार्था वाल्मीकि मुंह छिपाकर हापुड़ के पारपा गांव में रह रहा है। यहां पर भी उसकी हरकतें थमीं नहीं है। मुंबई के एक अस्पताल में करीब 42 साल पहले नर्स अरुणा शानबाग पर घातक हमला

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 30 May 2015 12:33 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2015 12:47 PM (IST)
मुंबई से लौटने के बाद भी कई बार जेल गया सोहनलाल

लखनऊ। मुंबई के एक अस्पताल में 42 साल पहले घृणित गुनाह करने वाला वार्ड ब्वाय सोहनलाल बार्था वाल्मीकि मुंह छिपाकर हापुड़ के पारपा गांव में रह रहा है। यहां पर भी उसकी हरकतें थमीं नहीं है।

मुंबई के एक अस्पताल में करीब 42 साल पहले नर्स अरुणा शानबाग पर घातक हमला करने वाला सोहनलाल हापुड़ में भी छोटे-मोटे अपराध में वह जेल की हवा खा चुका है। अरुणा का हाल में कोमा की अवस्था में ही निधन हो चुका है। मराठी अखबार ने कल सोहनलाल के बारे में खुलासा किया था कि वह हापुड़ के धौलाना तहसील स्थित पारपा गांव में रह रहा है। इसके बाद पारपा में मीडिया का जमावड़ा बढ़ गया। सोहनलाल मूलरूप से गौतमबुद्धनगर के दादूपूर खटाना का है। पता चला है कि भाई से झगड़े के बाद वह सात साल पहले ससुराल पारपा में आकर बस गया। उसकी पत्नी का नाम विमला है। सोहनलाल के दो बेटियां और दो बेटे हैं। बड़ा बेटा रविंद्र और छोटा बेटा भूरा है। चारों बच्चों की शादियां हो चुकी हैं। सोहनलाल इस समय एनटीपीसी दादरी में मजदूरी करता है। सोहनलाल ने कहा कि वह चर्चित मामले में मामले में सजा काट चुका है। फिलहाल इस मुद्दे पर उसे कुछ नहीं कहना है।

मराठी अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद मुंबई पुलिस ने कहा है कि उसके खिलाफ कार्रवाई के बारे में कानूनी राय ली जाएगी। सोहनलाल ने अखबार से कहा कि वह कुछ भी याद नहीं कर सकता कि उस दिन क्या हुआ था। हालांकि उसने कहा आप लोग इसे दुष्कर्म क्यों कह रहे हैं।

गौरतलब है नवंबर 1963 में मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में नर्स अरुणा शानबाग ने सोहनलाल के खिलाफ चोरी की शिकायत की थी। इस पर उसने अरुणा पर हमला किया और लोहे की जंजीर से उनका गला घोंटने की कोशिश की। इसके बाद उसने अप्राकृतिक दुराचार भी किया। इस हमले के बाद वह कोमा में चली गईं थीं। हाल ही में अपनी मृत्यु से पहले वह ताजिंदगी कोमा में ही रहीं। इस मामले में सोहनलाल 1980 में मुंबई की जेल से रिहा होकर अपने गांव दादूपुर खटाना आ गया था।

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