चुनाव खत्म होते ही मंदिर व हिंदुत्व के एजेंडों को धार देने में जुटा विहिप और संत समाज

14 जून को हरिद्वार में होने वाली मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा के साथ विहिप आगे की रणनीति तय करेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 27 May 2019 01:02 PM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 05:08 PM (IST)
चुनाव खत्म होते ही मंदिर व हिंदुत्व के एजेंडों को धार देने में जुटा विहिप और संत समाज
चुनाव खत्म होते ही मंदिर व हिंदुत्व के एजेंडों को धार देने में जुटा विहिप और संत समाज

लखनऊ, जेएनएन। प्रयागराज कुंभ के दौरान आयोजित धर्म संसद में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों का वादा था कि चुनाव के दौरान वह राम मंदिर मुद्दे को नहीं उठाएंगे। अब चुनाव खत्म होते ही विहिप और संत समाज मंदिर सहित हिंदुत्व के अन्य प्रमुख एजेंडों को धार देने में जुट गया है।

14 जून को हरिद्वार में होने वाली मार्ग दर्शक मंडल की बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा के साथ विहिप आगे की रणनीति तय करेगी। बैठक की अहमियत का अंदाज इसी से लगा सकते हैं कि इसमें विहिप के सभी प्रमुख नेता मसलन अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे, कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष चंपतराय, महामंत्री मिलिंद परांडे, संगठन महामंत्री विनायक राव देश पांडेय, प्रबंध समिति के सदस्य दिनेश चंद्र, संयोजक जीवेश्वर मिश्र, केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज और अशोक तिवारी आदि शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीमकोर्ट में राम मंदिर पर बार-बार सुनवाई टलने को लेकर विहिप पिछले साल के अंत में अयोध्या और दिल्ली की धर्मसभा के जरिये अपनी नाराजगी जता चुका है। उसकी लगातार मांग रही है कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट हिंदुओं की आस्था और भावनाओं को समझे और करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े इस मुद्दे का शीघ्रता से हल दे।

चंद रोज पहले भी जब सुप्रीमकोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद कमेटी की तारीख बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया तब भी विहिप ने नाराजगी जतायी थी। उसके बाद ही तय हुआ था कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए विहिप और मंदिर आंदोलन से जुड़े संत समाज की एक बैठक तीन जून को अयोध्या में होगी, पर मंदिर सहित ङ्क्षहदुत्व के अन्य मुद्दों पर व्यापक चर्चा मार्गदर्शक मंडल की बैठक में होगी।

बैठक में विहिप के प्रमुख पदाधिकारियों के अलावा संत समाज का प्रतिनिधित्व जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य,जगद्गुरु रामानुजाचार्य, महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद, स्वामी परमात्मानंद, ज्ञानानंद, स्वामी चिन्मयानंद, महंत कमलनयन दास, महामंडलेश्वर रामेश्वर दास वैष्णव और स्वामी अखिलेश्वरानंद करेंगे।

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