शहरी गरीबों को पहले मिलेंगी खाद्य सुरक्षा की सौगात
लखनऊ,(रमण शुक्ला)। खाद्य सुरक्षा लागू होने के बाद सूबे में शहरी गरीबों को सरकार सबसे पह
लखनऊ,(रमण शुक्ला)। खाद्य सुरक्षा लागू होने के बाद सूबे में शहरी गरीबों को सरकार सबसे पहले सौगातें देगी। शासन ने शहरी गरीबों को खाद्य सुरक्षा का लाभ पहले देने की कवायद शुरू कर दी है।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को पत्र लिखकर केंद्रीय खाद्य व रसद और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने पहले शहरी क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा को लागू करने के लिए प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है। मंत्रालय के सचिव अरुण कुमार मिश्रा ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में शहरी गरीबों को चिह्नित करने के लिए आर्थिक, सामाजिक व जातिगत जनगणना-2011 (एसईसीसी) के आधार पर योजना को लागू करने का निर्देश भी दिया है।
खाद्य सुरक्षा को लागू करने को गरीबी का निर्धारण किस आधार पर किया जाए इसको लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया था। ऐसे में 75 फीसद ग्रामीण आबादी व 60 फीसद शहरी आबादी का चयन कैसे किया जाए इसको लेकर राज्य सरकारें पसोपेश में थी। यही वजह है कि कई राज्य तमाम कोशिश के बावजूद खाद्य सुरक्षा अध्यादेश-2013 को लागू करने में सफल नहीं हुए।
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मुख्यमंत्री की मांग पर मेहरबानी
अन्य राज्यों की तुलना में यूपी के पिछड़ेपन और गत दिनों खाद्य सुरक्षा लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर केंद्र ने मेहरबानी दिखाई है। उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री ने अन्य राज्यों की तुलना में यूपी के 60 फीसद शहरी और 75 फीसद ग्रामीण गरीबों की जगह 65 फीसद शहरी और 80 फीसद ग्रामीण गरीब को शामिल करने पर सहमति दी है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 75 फीसद शहरी और 100 फीसद ग्रामीण गरीबों को शामिल करने की मांग की थी। केंद्र सरकार के वर्तमान पेशकश से यूपी की कुल 20 करोड़ आबादी में 15.20 करोड़ के लाभान्वित होने का अनुमान है।
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खाद्य आयुक्त से आंकड़ा तलब
शासन ने मंत्रालय के पत्र पर पहल करते हुए खाद्य आयुक्त से तत्काल 2011 की आर्थिक, सामाजिक और जातिगत जनगणना के आधार पर शहरी गरीबों का निर्धारण करते हुए प्रस्ताव उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। खाद्य एवं रसद महकमे ने आयुक्त को एनआईसी से संपर्क कर एसईसीसी के आंकड़े के आधार पर शहरी क्षेत्र के गरीबों का ब्योरा जुटाने सुझाव दिया है।
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क्या लाभ मिलेगा
खाद्य सुरक्षा लागू होने के बाद गरीबों को सरकार दो रुपये प्रति किलो गेहूं, तीन रुपये प्रति किलो चावल और एक रुपये प्रति किलो की दर अन्य मोटा अनाज उपलब्ध कराने की योजना है। इसमें अन्त्योदय परिवारों को प्रति यूनिट पांच किलो अनाज प्रति माह जबकि अन्य गरीब परिवारों को अधिकतम 35 किलो का अनाज देने का प्रावधान किया गया है।
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