UP Zila Panchayat Result 2021: उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी हावी रहे बाहुबली
UP Zila Panchayat Result 2021 यूपी की राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा हमेशा से रहा है। चुनाव प्रचार में भले ही सब कुछ सामान्य दिखे लेकिन परदे के पीछे उनकी धौंस और हनक हमेशा नतीजों पर अपना प्रभाव डालती है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी इसकी झलक दिखी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा हमेशा से रहा है। चुनाव प्रचार में भले ही सब कुछ सामान्य दिखे, लेकिन परदे के पीछे उनकी धौंस और हनक हमेशा नतीजों पर अपना प्रभाव डालती है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी इसकी झलक दिखी। जौनपुर, प्रतापगढ़ और उन्नाव के नतीजे गवाह भी हैं। कई जिलों में पुलिस व प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए और हंगामा भी हुआ। हालांकि, सभी जगह शांति-व्यवस्था बनी रही।
जौनपुर में पूर्व सांसद व बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की है। जौनपुर से ही सांसद रहे धनंजय सिंह का इस क्षेत्र में लंबे अर्से से दबदबा रहा है। यही वजह है कि पंचायत अध्यक्ष की उम्मीदवार उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी बनीं तो दूसरे प्रत्याशियों के हौसले पहले ही टूट गए।
प्रतापगढ़ में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की उम्मीदवार माधुरी पटेल ने जीत दर्ज की। हालांकि इस सीट पर अन्य दलों के उम्मीदवारों ने दम भरा था, लेकिन विजय के दरवाजे से उनके कदम दूर ही रहे। प्रतापगढ़ में पूर्व मंत्री व उनके परिवार का दबदबा किसी से छुपा नहीं है। प्रतापगढ़ के एसपी आकाश तोमर के बीते दिनों अवकाश पर जाने को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। डीजीपी मुख्यालय को यहां चुनाव के दौरान शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए डीआइजी एलआर कुमार को भेजना पड़ा।
दूसरी ओर संगीन घटनाओं को लेकर आए दिन सुर्खियों में रहने वाले उन्नाव जिले में भी बाहुबल की जय हुई। यहां पूर्व एमएलसी स्वर्गीय अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह ने जीत दर्ज की। एक वक्त था, जब रेलवे से लेकर अन्य विभागों के बड़े ठेकों में बाहुबली पूर्व एमएलसी की मर्जी चलती थी। उनके कई करीबी उन्नाव जिले में काफी प्रभावशाली रहे हैं। इस सीट पर भाजपा ने पहले अरुण सिंह को उम्मीदवार बनाया था।
उन्नाव के बहुचर्चित माखी कांड की पीड़ित युवती के गंभीर आरोपों के बाद अरुण सिंह का पत्ता कट गया था। इसके बाद यहां शकुन सिंह को मौका दिया गया, जबकि बागी अरुण सिंह उनके सामने थे। सत्ता के गलियारों से लेकर अपने क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले कई नेताओं के रिश्तेदार व करीबी उम्मीदवार भी विजेता रहे।