ऑनलाइन ट्रेडिंग के विरोध में आज बंद रहेंगे यूपी के बाजार और दवा दुकानें
जबकि सिंगल ब्रांड में सौ फीसद एफडीआइ और ऑनलाइन ट्रेडिंग खुदरा व्यापारियों का कारोबार प्रभावित कर रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। देश के प्रमुख व्यापारिक संगठनों के साथ भारत बंद में शामिल हुए प्रदेश के व्यापारियों ने भी सभी जिलों में शुक्रवार को बाजार बंद रखने की तैयारी की है। व्यापारी जहां जीएसटी की विसंगतियों से परेशाम हैं, वहीं एफडीआइ भी उनके लिए नई आशंका लेकर खड़ा हो गया है। उधर, देश भर के दवा कारोबारियों के साथ प्रदेश के थोक व रिटेल दवा व्यापारियों ने भी शुक्रवार को पूरी तरह कारोबार ठप रखने की बात कही है। व्यापारियों के मुद्दों पर सहमति जताते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) ने भी बंद का समर्थन किया है।
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष व पूर्व सांसद बनवारीलाल कंछल ने गुरुवार को बताया कि जीएसटी की कई दरें व्यापारियों के लिए कठिनाई का सबब बन रही हैैं, जबकि सिंगल ब्रांड में सौ फीसद एफडीआइ और ऑनलाइन ट्रेडिंग खुदरा व्यापारियों का कारोबार प्रभावित कर रही है। इसी तरह मंडी शुल्क और वन विभाग के टैक्स से भी व्यापारी परेशान हैैं।
संगठन के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र मिश्र ने कहा कि चौबीसों घंटे और साल के सभी दिन खुलने वाले शॉपिंग मॉल के लिए अलग कानून होने से भी खुदरा कारोबारियों का व्यापार लगातार गिर रहा है। उप्र उद्योग किसान व्यापार मंडल और उप्र आदर्श व्यापार मंडल सहित कई संगठनों ने बंद में शामिल होने का दावा किया है।
उप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन ने भी शुक्रवार को प्रदेश की सभी करीब 1.12 लाख दवा दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया है। दवा कारोबारियों की मुख्य नाराजगी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को लेकर है। फेडरेशन के महासचिव सुरेश गुप्ता ने बताया कि उनका मार्जिन होलसेल में 10 और रिटेल में 20 फीसद है।
जबकि ई-फार्मेसी के तहत दवा की ऑनलाइन बिक्री में 20 फीसद से ज्यादा छूट दिए जाने से उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। कारोबारियों का कहना है कि दवा की ऑनलाइन बिक्री गैरकानूनी है लेकिन, सरकार इसे नियंत्रित करने की बजाय परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रही है।