उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया 17 जातियों को OBC से SC वर्ग में शामिल करने का आदेश

प्रदेश सरकार ने जून में अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला लिया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 09:56 AM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 05:10 PM (IST)
उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया 17 जातियों को OBC से SC वर्ग में शामिल करने का आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया 17 जातियों को OBC से SC वर्ग में शामिल करने का आदेश

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के मामले में अब यू टर्न लिया है। प्रदेश सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है।

प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आपत्ति दर्ज की थी। प्रदेश सरकार ने जून में अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद सरकार को यह निर्णय वापस लेना था। अब उत्तर प्रदेश सरकार 17 ओबीसी जातियों को एससी का सर्टिफिकेट नहीं दे सकेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को गलत बताया था। सरकार के फैसला वापस लेने के बाद अब 17 जातियां ओबीसी वर्ग में ही रहेंगी। सरकार ने इनको एससी वर्ग में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया था। सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने पहली नजर में राज्य सरकार के फैसले को गलत मानते हुए प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज कुमार सिंह से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने जून में पिछड़ी जातियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था। इसके तहत 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल कर दिया था। इन जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में शामिल करने के पीछे सरकार का कहना है कि यह जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं। अब इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इसके लिए जिला अधिकारियों को 17 जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया गया। योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीती 24 जून को एक आदेश जारी कर 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था। सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने याचिका दाखिल कर इस शासनादेश को अवैध ठहराया था। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने फौरी तौर पर माना कि सरकार का फैसला गलत है और सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है। संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है। केंद्र व राज्य सरकारों को इसका संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है।

कौन-कौन हैं जातियां

जिन 17 पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल किया गया था, उनमें निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा, गौड़ इत्यादि हैं। इससे पहले सपा और बसपा की सरकारों ने भी ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। 

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