यूपी की राजधानी में कई गांव ऐसे, जहां ब‍िजली का बिल जमा करना समझते हैं बेइज्जती

एमडी की पहले से छह दिनों में करीब पांच लाख रुपये राजस्व आ भी गया है। यह वही गांव हैं जहां से कोई सौ रुपये बिल देने को तैयार नहीं होता था। एमडी सूर्य पाल गंगवार ने बड़ा गांव फीडर को गोद लेकर सुधारने का जिम्मा लिया है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 09:22 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 09:22 AM (IST)
यूपी की राजधानी में कई गांव ऐसे, जहां ब‍िजली का बिल जमा करना समझते हैं बेइज्जती
कंटिगरा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनती एमडी मध्यांचल।

लखनऊ, (अंशू दीक्षित)। उत्‍तर प्रदेश की राजधानी में लेसा सिस के अंतर्गत आने वाले कई गांव ऐसे हैं, जहां बिल जमा करना उपभोक्ता अपनी बेइज्जती समझता हैं। उन्हें लगता है बिल बेवजह का बोझ है। बिजली तो सरकार को मुफ्त में देनी चाहिए। सेस द्वितीय खंड के अंतर्गत आने वाले इन गांवों में कंटिगरा, मादीपुर, करीमाबाद, जलियामऊ, माधवपुर जैसे एक दर्जन गांव हैं, जहां के लोगों ने कभी बिजली का बिल ही जमा नहीं किया। यहां बिल वसूलने के लिए अब एमडी मध्यांचल सूर्य पाल गंगवार ने स्वयं मोर्चा संभाला है। 

यहां के गांवों में पहुंचकर हर दूसरे दिन एमडी ग्रामीणों के साथ चौपाल लगा रहे हैं, ग्रामीणों के दिमाग में बैठाने की कोशिश कर रहे कि बिजली का जीवन में कितना महत्व है और इस पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर पर कितना खर्च आता है। ऐसे में अगर हर माह तीन से चार सौ रुपये आने वाला बिल कोई नहीं देता है तो उस पर 18 फीसद ब्याज लगकर कितना बोझ हो जाएगा। एमडी की पहले से छह दिनों में करीब पांच लाख रुपये राजस्व आ भी गया है। यह वही गांव हैं जहां से कोई सौ रुपये बिल देने को तैयार नहीं होता था। एमडी सूर्य पाल गंगवार ने बड़ा गांव फीडर को गोद लेकर सुधारने का जिम्मा लिया है। इस फीडर से दर्जनों गांवों को बिजली जाती है।

दुर्भाग्य है कि इससे पहले किसी एमडी ने हाई लॉस फीडर वाले गांवों को सुधारने का इस तरह से जिम्मा नहीं लिया। यहां लाइनों को दुरुस्त करने के साथ ही ग्रामीणाें में बिजली विभाग के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए नियमित रूप से शिविर लगा दिए गए हैं, जिससे ग्रामीणों की हर शंका का समाधान हो सके। एमडी मध्यांचल ने 24, 26 व 30 अक्टूबर को स्वयं एक-एक गांव में दौरा कर रहे हैं। हालांकि यह सभी गांव एमडी के लिए चुनौती बने हुए हैं, लेकिन अब आशा की किरण जागी है कि स्थिति मेहनत करने से सुधर सकती है।

''गांवों में आय का संसाधान खेती है, कई किसानों ने आश्वासन दिया है कि फसल बिकते ही पहला काम बिल जमा करने का करेंगे। कुछ ग्रामीण शहर दिहाड़ी मजदूरी करने आती है, उनके बिलों को पार्टमेंट करने की सुविधा दी गई है। बड़ा गांव फीडर जो हाई लॉस है, उसमें सुधार दिखने लगा है।''  -सूर्य पाल गंगवार, एमडी मध्यांचल 

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