लखनऊ से गहरा रहा है आतंकियों का नाता, पहले भी मिली यहां पनाह, जानें- कब-कब दबोचे गए दहशतगर्द

यूपी की राजधानी लखनऊ में आतंकियों की जड़े गहरी रही हैं। यहां आतंकियों को न सिर्फ पनाह मिलती रही है बल्कि यहां से वे अपने नेटवर्क को उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों में बढ़ाते भी रहे हैं। एटीएस ने 2017 में आइएसआइ से जुड़े आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 07:30 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 05:04 PM (IST)
लखनऊ से गहरा रहा है आतंकियों का नाता, पहले भी मिली यहां पनाह, जानें- कब-कब दबोचे गए दहशतगर्द
आतंकियों ने लखनऊ में पहले भी पनाह मिलती रही है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। अदब के शहर लखनऊ में आतंकियों की जड़े गहरी रही हैं। राजधानी में आतंकियों को न सिर्फ पनाह मिलती रही है, बल्कि यहां से वे अपने नेटवर्क को उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों में बढ़ाते भी रहे हैं। लखनऊ के काकोरी क्षेत्र स्थित हाजी कालोनी में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने आठ मार्च 2017 को आइएसआइ से जुड़े आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था। कानपुर का निवासी सैफुल्ला यहां किराये के मकान में अपना ठिकाना बनाए था। उसके कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ था। बाद में एटीएस ने प्रदेश में सक्रिय उसके कई साथियों को भी दबोचा था।

12 अगस्त, 2008 को एसटीएफ ने जमात-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकी मु.मसरूर को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। मसरूर यहां चारबाग स्थित रेलवे क्वार्टर में छिपकर रहता था और लालबाग स्थित शीशे के शोरूम में नाम बदलकर काम कर रहा था। कुछ वर्ष पूर्व एटीएस ने एक आतंकी संगठन को असलहे सप्लाई करने के आरोप में माडल हाउस निवासी इजहार खान को पकड़ा था। तब पुलिस ने आरोपी इजहार के कैसरबाग व अमीनाबाद क्षेत्र के निवासी एक दर्जन साथियों व मददगारों को चिन्हित करने का दावा भी किया था।

इससे पूर्व सितंबर 2007 में एटीएस ने सिमी के सक्रिय सदस्य शहबाज अहमद को पकड़ा था, जो यहां मौलवीगंज क्षेत्र में एक एजेंसी का संचालन करता था। आरोपी शहबाज का नाम जयपुर में हुए बम धमाके में सामने आया था। ऐसे ही वर्ष 2006 में कैंट क्षेत्र में पकड़ा गया आइएसआइ एजेंट लारेब खान यहां आइटी चौराहे के पास एक प्लेसमेंट एजेंसी का संचालन कर रहा था। सच तो यह है कि दस सालों में लखनऊ से कई आइएसआइ एजेंट व आतंकी पकड़े जा चुके हैं। ऐसी हर घटना के बाद खुफिया एजेंसियां लंबी छानबीन भी करती रही हैं, लेकिन राजधानी से उनका नेटवर्क पूरी तरह से कभी तोड़ा नहीं जा सका है।

लखनऊ में पकड़े गए अन्य आतंकी

21 मई 2005 : एसटीएफ ने लश्कर-ए-तोयबा के सदस्य सादात रशीद व इरफान को पकड़ा। 28 दिसंबर 2006 : कैसरबाग में आइएसआइ एजेंट अब्दुल शकूर व अदील पकड़े गए। 23 जून 2007 : हूजी का एरिया कमांडर बाबू भाई व उसका साथी नौशाद पकड़ा गया था। 27 जुलाई 2007 : इंडस्ट्रियल एरिया से आतंकी नूर इस्लाम की निशानदेही पर आरडीएक्स व डेटोनेटर बरामद हुए थे। 16 नवंबर 2007 : एसटीएफ ने जैश-ए-मुहम्मद के तीन आतंकियों को पकड़ा था। 16 नवंबर 2009 : पुलिस ने पुराने लखनऊ से पाकिस्तान के जासूस आमिर अली को पकड़ा था।

यूपी में होती रही हैं आतंकी घटनाएं वर्ष 1999 में भी साबरमती एक्सप्रेस में 14-15 अगस्त की रात अयोध्या के पटरंगा रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट। 28 जुलाई 2005 को जौनपुर के सिंगरामऊ रेलवे स्टेशन के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम विस्फोट। सात मार्च 2006 को वाराणसी स्थित संकट मोचन मंदिर में एक और वाराणसी कैंट स्टेशन पर दो धमाके। 22 मई 2007 को गोरखपुर के घंटाघर के पास धमका। 25 नवंबर, 2007 को वाराणसी, लखनऊ व अयोध्या कोर्ट में विस्फोट। एक जनवरी 2008 को रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमला।

दो आतंकी लखनऊ में गिरफ्तार : बता दें कि आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने मुस्तैदी से रविवार को बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम किया है। आतंकी संगठन अलकायदा समर्थित अंसार गजवातुल हिंद से जुड़े दो आतंकियों मिनहाज अहमद व मसीरुद्दीन लखनऊ से गिरफ्तार किए गए हैं। उनके दो साथी भाग निकले हैं, जिनकी सरगर्मी से तलाश की जा रही है। सूबे के कई युवक अलकायदा के इस माड्यूल से जुड़े हैं और उनके बारे में भी छानबीन की जा रही है। कई युवकों को मानव बम बनाए जाने की बात भी सामने आई है, जिसके बाद आइबी समेत अन्य खुफिया एजेंसियां और अधिक सक्रिय हो गई हैं। एटीएस ने कानपुर समेत कई शहरों में छापे मारे हैं और संदिग्धों को हिरासत में लेकर गहनता से पूछताछ की जा रही है। पूरे प्रदेश में अलर्ट कर दिया गया है।

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