'अनछुए विषयों के साथ प्रयोग कर रहे युवा लेखक'

किताब जिंदगी 50-50 के लेखक भगवंत अनमोल से बातचीत।बोले, रिस्क नहीं लगा पर कामयाबी का अंदाजा नहीं था।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 07 Oct 2018 12:58 PM (IST) Updated:Sun, 07 Oct 2018 12:58 PM (IST)
'अनछुए विषयों के साथ प्रयोग कर रहे युवा लेखक'
'अनछुए विषयों के साथ प्रयोग कर रहे युवा लेखक'

लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। ''किन्नर होना अभिशाप क्यों है?... बचपन में मेरे बाबू जी को ये लोग न सताते तो आज मैं भी पढ़-लिखकर कुछ बन जाती। खींसें निपोरकर सड़क पर भीख मांगती नजर नहीं आती। उस पर एक के बाद इस शरीर पर हुए अत्याचार! याद आता है तो खौफ से सिहर जाती हूं...'' भावनाएं, जरूरतें, महत्वाकांक्षाएं एक स्त्री की पर शरीर पुरुष का! बेहद दर्दनाक स्थिति को युवा लेखक भगवंत अनमोल ने किताब 'जिंदगी 50-50' में पिरोया। किताब बेस्ट सेलर होने के साथ ही उप्र हिंदी संस्थान बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार से भी अलंकृत हुई। इसका दूसरा संस्करण भी आ चुका है। पुस्तक मेला में लेखक को अपने बीच पाकर पुस्तक प्रेमी उत्साहित नजर आए। इस दौरान लेखक के व्यक्तित्व और कृतित्व समेत अन्य मुद्दों पर बात हुई।

डायरी लेखन का रहा शौक

खागा, फतेहपुर में जन्म हुआ। दो साल की उम्र में पिता का देहांत हो गया था। ताऊ जी ने पूरे परिवार को संभाला। कानपुर से बी.टेक तक की पढ़ाई हुई। लेखन का शौक डायरी तक सीमित था। बाद में यही डायरी किताब में बदल गई।

ऐसे मिला किताब का विषय

2013 की बात है। मुंबई में मलाट के सिग्नल के पास भीख मांगते किन्नरों को देख अक्सर इनके बारे में जानने का ख्याल आता। तमाम कोशिशों के बाद धीरे-धीरे उनके संघर्षों को जान समझ पाए। तब लगा इस विषय पर लिखना चाहिए। 2013 में शुरू किताब 2016 में पूरी हुई।

कामयाबी का अंदाजा नहीं था

हर लेखक की तरह मैंने भी किताब की अच्छी बिक्री का सोचा था, पर किताब के बेस्ट सेलर होने का अंदाजा नहीं था। विषय को लेकर रिस्क फैक्टर नहीं लगा। युवा लेखक अनछुए विषयों के साथ प्रयोग कर रहे हैं। पाठकों को यह पसंद आ रहा है। 

अपनी मार्केटिंग खुद करें

नये लेखक बहुत अच्छा कर रहे हैं। आपकी मार्केटिंग के लिए कोई दूसरा नहीं आएगा। खुद अपनी अच्छाइयां बतानी होंगी तभी लोग जानेंगे। मैं सबसे यही कहूंगा, किताबें पढ़ें, खूब लिखें। आलोचना को स्वीकार कर सुधार करें।

रोमन मिक्स हिंदी स्वीकार नहीं

साहित्य की गंभीरता के कारण आम पाठक इससे दूर भागता था। युवा लेखक नये और सरल विषयों को आम भाषा में ही लेकर आए। भाषाई स्तर पर भी तमाम बदलाव आए हैं। भाषा सरल कठिन कर सकते हैं पर रोमन मिक्स ङ्क्षहदी स्वीकार नहीं।

चित्रलेखा पसंदीदा किताब

भगवती चरण वर्मा, कमलेश्वर, मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रभात रंजन और मनोहर श्याम जोशी आदि की लेखनी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। चित्रलेखा पसंदीदा किताब है।

शिक्षा सर्वोपरि

किताब के जरिए संदेश दिया है कि अगर किन्नरों को भी उचित शिक्षा एवं सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तो वे भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह घर, परिवार और समाज के प्रति अपने कत्र्तव्यों का निर्वाह बखूबी कर सकता है। शिक्षा सर्वोपरि है।

धीरे-धीरे खुल रही सोच

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में समलैंगिकता को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया। यह फैसला स्वागतयोग्य है। धीरे-धीरे सोच विस्तृत हो रही है। समाज में खुलापन आ रहा है।

'बाली उमर' पर कर रहे काम

नई किताब पर काम कर रहा हूं। जल्द 'बाली उमर' पाठकों के बीच होगी।

दैनिक जागरण का शुक्रिया

किताब दैनिक जागरण के संवादी के मंच पर विमोचित हुई थी। उसके बाद जागरण की बेस्ट सेलर की सूची में भी शामिल हुई। भगवंत ने दैनिक जागरण का शुक्रिया करते हुए कहा कि जागरण युवा लेखकों को बेहतर प्लेटफॉर्म देता है। पढऩे-लिखने का शौक रखने वालों के लिए जागरण समृद्ध है।

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