राजभवन में लगेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा, शासन ने मांगी जानकारी

राजभवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी है। इसके अलावा रोज पार्क में ब्रिटिश शासनकाल में वीनस की मार्बल से बनी प्रतिमा लगी है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 10 Jan 2019 08:42 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jan 2019 02:11 PM (IST)
राजभवन में लगेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा, शासन ने मांगी जानकारी
राजभवन में लगेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा, शासन ने मांगी जानकारी

लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य तक न पहुंच जाओ' का नारा देकर युवाओं में हौसला भरने वाले स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा अब राजभवन भवन परिसर में नजर आएगी। उच्चस्तरीय शासन पर हुए निर्णय के बाद निदेशक संस्कृति निदेशालय ने जिलाधिकारी से दस बिंदुओं पर आख्या मांगी है। अभी शहर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा निरालानगर में विवेकानंद पॉलीक्लीनिक, अमीनाबाद के झंडे वाले पार्क और डीएवी कालेज परिसर में ही लगी है।

शासन ने मांगी यह जानकारी जिस जमीन पर प्रतिमा लगाई जाएगी, वह सार्वजनिक तो नहीं है। भू-स्वामी का लिखित प्रमाण पत्र भी दिया जाए। जिस संस्था द्वारा प्रतिमा लगाई जाएगी, उससे प्रस्ताव भी लिया जाए। अटल की प्रतिमा लगाने पर मांगी गई रिपोर्ट लोक भवन परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा लगाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। हालांकि प्रतिमा लगाने के लिए संस्कृति विभाग द्वारा मांगी गई सूचनाएं अभी जिलाधिकारी व एसएसपी की तरफ से शासन को नहीं भेजी गई हैं। प्रतिमा लगाने के लिए संपत्ति के अभिलेख मांगे गए हैं।

पूर्व में हो चुका है विवाद

जहां आज लोकभवन है, वहां पहले एक तरफ पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा लगी थी। राष्ट्रीय चिह्न अशोक की लाट के ऊपर लगी प्रतिमा के कारण काफी विवाद हो गया था। इसे राष्ट्रीय चिह्न का अपमान बताया गया था। प्रतिमा किस विभाग की तरफ से लगाई गई थी? यह पता नहीं चल पा रहा था। संस्कृति विभाग, राज्य संपत्ति विभाग, विधानसभा सचिवालय, सामान्य प्रशासन विभाग, राजनैतिक पेंशन विभाग और नगर निगम ने प्रतिमा लगाने से अनभिज्ञता जता दी थी। सूचना के अधिकार के तहत एलजे मौर्य के राष्ट्रीय चिह्न के ऊपर प्रतिमा लगाए जाने से जुड़ी जानकारियां मांगने के बाद से यह विवाद गहरा गया था। बाद में लोकभवन बनने के बाद प्रतिमा के पैडस्टल को बदल दिया गया था, जिसमें अशोक की लाट बनी थी।

निदेशक संस्कृति निदेशालय अजय कुमार अग्रवाल ने डीएम और एसएसपी को लिखे पत्र में कहा है कि पूर्व में मांगी गई 10 बिंदुओं की जानकारी न मिलने से शासन को रिपोर्ट नहीं भेजी जा पा रही है। शासन स्तर पर लगातार पत्राचार कर प्रतिमा लगाने के संबंध में जानकारी मांगी जा रही है।

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